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बलरामपुर: प्रधानमंत्री आवास योजना की खुली पोल, गरीबों को नहीं नसीब हो सका छत

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना के बाद भी गरीबों को पक्के मकान नहीं मिल पाये हैं, जिसकी वजह से उनको बारिश के मौसम में तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित परिवार

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Published : Aug 20, 2019, 9:18 AM IST

बलरामपुर: गरीबों को सस्ते दरों पर मकान उपलब्ध करवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सपना संजोते हुए 25 जून 2015 को प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी और ग्रामीण का लोकार्पण किया था. इसके तहत 2022 तक सभी गरीब और पात्र परिवारों को पक्का मकान उपलब्ध करवाने की योजना है.

बलरामपुर में पात्रों को नहीं मिल रहा मकान-
बलरामपुर के ग्रामीण इलाकों में रह रहे तकरीबन पांच लाख परिवारों में से गरीब पात्र परिवारों को अभी भी पक्का आवास उपलब्ध नहीं हो सका है. आवास योजना की प्रगति कुछ इस तरह की गरीब लोग ग्राम प्रधानों से लेकर खंड विकास अधिकारी और डीसी प्रधानमंत्री आवास योजना से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय तक के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें आवास नहीं मिल पा रहा है. प्रधानों से आवास योजना में न केवल घालमेल करने की शिकायतें मिलती रही हैं, बल्कि अपात्रों को पीछे के दरवाजे से आवास दिलाने की बातें भी सामने आती रही है.

प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित परिवार
पक्के मकान की आस देखता एक परिवार-ग्रामसभा बिलोहा बनकसिया की रहने वाली रामसंवारी के परिवार में कुल ग्यारह लोग हैं और इनका कच्चा मकान पांच साल पहले पूरी तरह से टूट गया है. अब इनके पास रहने के लिए केवल एक टिन शेड बचा है, जिसमें यह उज्जवला योजना के तहत मिले गैस सिलेंडर से खाना बनाती है और उसी में सोती है. बरसात के मौसम में स्थिति बदतर हो जाती है, लेकिन ना तो इनकी समस्या को ग्राम प्रधान सुन रहा है ना ही जिले के तमाम आला अधिकारी.पूरी तरह गिर चुका है आवास-रामसंवारी,पीड़ित ने बताया कि पिछले कई सालों से हमारा आवास टूटा हुआ है. वह पूरी तरह से अब गिर चुका है. हम फूस और टीन के कच्चे मकानों में रहते हैं. ग्यारह सदस्यों के इस परिवार के रहने के लिए यह बिल्कुल नाकाफी है, लेकिन गरीबी के आलम के कारण हम अपने घर को नहीं बना पा रहे हैं. जब हम ग्राम प्रधान से अपनी समस्या को लेकर कई मिलते हैं तो वह हमें लगातार टाल दिया करते हैं.

टीकमलाल मौर्या,पीड़ित ने कहा कि हम गरीबी के कारण अपना आवास नहीं बनवा पा रहे हैं. अगर हमारे पास पैसा होता तो हम अपना मकान कब का बनवा चुके होते. छ: लड़कियां हैं. उनकी शादी करनी है. इस वजह से बड़ी परेशानी है. हम लगातार ग्राम प्रधान से लेकर तमाम आला अधिकारियों के पास दौड़ चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

2011 की सेग डाटा के आधार पर पात्रों को आवास देने का काम किया जा रहा है. इस योजना में जिले में अब तक काफी प्रगति हो चुकी है. पिछले तीन सालों के भीतर हमने तकरीबन नौ हजार पात्र परिवारों को आवास देने का काम किया है, जिसमें से 97% आवासों का काम पूरा भी हो चुका है. उनकी जियो टैगिंग भी करवाई जा चुकी है.
-कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी

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