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बलरामपुर: सौभाग्य की जगह दुर्भाग्य में बदल रही 'सौभाग्य योजना'

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में बिजली विभाग ने सौभाग्य योजना के तहत हर घर में बिजली पहुंचाने का काम शुरु कर दिया है, लेकिन इस योजना में ठेकेदारों द्वारा बिजली के खंभे इस तरीके से लगाए गए कि वो एक बरसात भी नहीं झेल सके. इस वजह से आए दिन लोगों को बिजली कटौती का सामना भी करना पड़ता है.

एक बरसात भी नहीं झेल पाए खंभे.

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Published : Jul 24, 2019, 8:39 AM IST

बलरामपुर:दिसंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिवस के अवसर पर देश के तकरीबन 18,000 ग्रामों को सौगात देते हुए 'प्रधानमंत्री हर घर सहज बिजली योजना' का शुभारंभ किया था. इस योजना के जरिए लक्ष्य बनाया गया था कि जिन गांवों तक बिजली नहीं पहुंच सकी है, वहां पर बिजली पहुंचाकर ग्रामीणों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें. जिससे वह भी आधुनिक समाज का हिस्सा बन सकें. इसके तहत जिले में भी तकरीबन 4331जगहों पर बिजलीकरण करने का काम किया गया है, लेकिन इसमें सामग्रियों का घटिया इस्तेमाल ग्रामीणों के लिए मुसीबत का सबब बनता दिख रहा है.

'सौभाग्य योजना' में दिखी लापरवाही.

दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना और सौभाग्य योजना के अंतर्गत जिले के 801 ग्राम सभाओं में स्थित 4331 मजरों में तकरीबन 60 हजार खंभों के जरिए बिजली पहुंचाने की बात कही जा रही है. इसके लिए तकरीबन दो लाख किलोमीटर से अधिक एसटी और एचटी लाइन का निर्माण भी किया गया है. तकरीबन 8000 से ज्यादा छोटे-बड़े ट्रांसफार्मर लगाए गए हैं और बिजली विभाग तकरीबन डेढ़ लाख घरों को बिजली कनेक्शन बांटने की बात भी कह रहा है.

एक बरसात भी नहीं झेल पाए बिजली विभाग के खंभे
इन सबके पीछे बिजली विभाग की मंशा है कि ग्रामीणों को रोस्टर के हिसाब से बिजली आपूर्ति की जाए, जिससे उनका जीवन भी सुगम बन सके. लेकिन इस योजना में बिजली विभाग को ठेकेदारों द्वारा लगाए गए खंभे पलीता लगाने का काम कर रहे हैं. यह खंभे इस तरीके से लगाए गए हैं कि वे एक बरसात भी नहीं झेल सके. जबकि नियम यह है कि खंभों को कम से कम 6 फीट नीचे करके लगाया जाए और कंक्रीट से उनकी बिल्डिंग की जाए. लेकिन नियमों व शर्तों के विपरीत लगाए गए ये खंभे न केवल लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं. बल्कि इस वजह से आए दिन लोगों को बिजली कटौती का सामना भी करना पड़ रहा है.

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