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पानी के बीच से गुजरते हैं थारू जनजाति के लोग - people of tharu tribe

यूपी के बलरामपुर में पुल न होने के कारण थारू जनजाति के लोगों को गांव से नगर क्षेत्र में जाने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है. रास्ते में पड़ने वाले तीन नाले हल्की सी बारिश होने पर भी उफान मारने लगते हैं.

थारू जनजाति
थारू जनजाति

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Published : Dec 12, 2020, 4:05 PM IST

बलरामपुर: थारू जनजाति के लोगों के विकास के लिए शासन विभिन्न तरह की योजनाओं चला रहा है. बावजूद इसके नेपाल सीमा से सटे जंगल के बीच बसे थारू बहुल गांवों में उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सोनगढ़ा, मुतेहरा और अकलघरवा गांव की करीब ढाई हजार की आबादी पुल न होने की वजह से पानी के बीच से गुजरने को मजबूर हैं.

जानकारी देते ग्राम प्रधान प्रतिनिधि.

पुल न होने से पानी के बीच से होकर गुजरते हैं ग्रामीण

ग्रामीणों को जंगल से निकलकर नगर क्षेत्र में जाने के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. रास्ते में पड़ने वाले दारा, पथरहवा और मूसा नाला पर पुल न होने के कारण यह हल्की सी भी बारिश होने पर मुख्यधारा से कट जाते हैं, जिससे ग्रामीणों को पानी के बीच से होकर ही गुजरना पड़ता है.

बरसात के दिनों में गांव में ही कैद रहते हैं ग्रामीण

किसी की तबीयत खराब होने पर उसे दस किलोमीटर जंगल का रास्ता तय करके बालापुर या तुलसीपुर की राह लेनी पड़ती है. बरसात होते ही रास्ते में पड़ने वाले तीनों नाले उफान पर आ जाते हैं, जिससे मुख्य रास्ता बंद हो जाता है और लोग अपने-अपने गांव में ही कैद होकर रह जाते हैं. मूसा और पथराहवा नाले में हमेशा जल बहाव रहता है. इस कारण लोग इसी में घुसकर रास्ता तय करते हैं.

स्वास्थ्य की देखभाल और दैनिक उपयोगी वस्तुओं को लाना चुनौती

सोनगढ़ा निवासी जयदेव कहते हैं कि बरसात में किसी की जब तबीयत खराब होती है तो पहले तो उसे यहीं ठीक करने की कवायद की जाती है. मामला गंभीर होने पर उसे चारपाई पर लादकर और कंधे पर उठाकर नाले को पार कराया जाता है. तब जाकर बाजार में दवा कराने पहुंचते हैं.

रामदयाल कहते हैं कि इन पुलों के निर्माण के लिए कई बार यहां वोट मांगने आए नेताओं से अपील की गई, लेकिन चुनावी वादे के अलावा कुछ नहीं हुआ. वहीं प्रसाद ने कहा कि आवागमन के लिए पुल न होना सबसे बड़ी समस्या है. बलिराम कहते हैं कि प्रतिदिन मजदूरी करने बाजार में जाना पड़ता है हमेशा डर बना रहता है कि नाले पर उफान आ गया तो हम लोग अपने घर कैसे पहुंचेंगे.

ग्रामीणों का जब दबाव बढ़ा तो वन विभाग ने डिप बनवा दिया

ग्राम प्रधान प्रतिनिधि कालूराम कहते हैं कि जब हम सभी लोगों ने प्रशासन पर दबाव बनाया तो मूसा और पथराहवा नाले पर डिप बना दिया गया, लेकिन इसका भी कोई फायदा ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है. डिप बनवाने में करीब चार लाख 86 हजार खर्च करने के बाद भी समस्या ज्यों की त्यों है. वहीं इस मामले में उप जिलाधिकारी विनोद सिंह ने बताया कि गांव के लोगों की समस्या को शासन तक पहुंचाया जाएगा.

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