बलरामपुर: जिले के सवा दो लाख बच्चों को पठन-पाठन कराने के लिए 2235 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय बनाए गए है. जहां पर बच्चों को धीरे-धीरे उन तमाम सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है, जिससे उनके पठन-पाठन में कोई दिक्कत ना आए, लेकिन बच्चों को बिजली की ही सुविधा नहीं मिल रही है.
क्या है पूरा मामला-
- सरकारी स्कूलों के नौनिहालों को ट्यूबलाइट की रोशनी व पंखे की हवा उपलब्ध करवाने के नाम पर अफसरों ने खेल कर दिया है.
- 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान 1116 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालययों में वायरिंग व उपकरण के नाम पर 2,48,68,704 रुपये खर्च कर दिए गए हैं.
- मानकों को ताक पर रखते हुए वायरिंग व उपकरण लगाकर जिम्मेदारों ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है.
- वित्त वर्ष 2017-18 में 290 जूनियर हाईस्कूलों में बिजली कनेक्शन के लिए विद्युत विभाग ने पैसे दिए हैं.
- विद्युत विभाग को 20,16,950 व एसएमसी (स्कूल मैनेजमेंट कमेटी) के खाते में वायरिंग, उपकरण, एनर्जी चार्ज के लिए भेजे गए थे.
- 85,22,520 कहां-कहां खर्च कर दिए गए, इसका हिसाब-किताब भी विभाग के पास अब नहीं है.
- कई स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहाल आज भी पंखे की हवा के लिए तरस रहे हैं.
यह पैसा सर्व शिक्षा अभियान के तहत साल 2019 में 533 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों को दो किस्तों में 1,26,25,704 रुपये भेजे गए थे. इसमें प्रति विद्यालय 17,688 रुपये वायरिंग व 6000 रुपये पंखे व ट्यूबलाइट के लिए प्रति विद्यालय को दिया गया था.
जबकि बेसिक शिक्षा विभाग से 574 प्राथमिक स्कूलों को 15,000 रुपये वायरिंग के लिए और 6000 रुपये पंखे व अन्य उपकरणों के लिए दिए थे. कुल मिलाकर इस मद में प्राथमिक विद्यालयों को 1,20,54,000 एवं जूनियर हाई स्कूलों को 1,89,000 रुपये भेजे गए थे.