बलरामपुर:एक तरफ जहां बड़े बड़े शहरों में धुंध और प्रदूषण के कारणों पर बहस छिड़ी हुई है, वहीं अब दूसरे और तीसरी श्रेणी के शहर भी प्रदूषण अछूते नहीं हैं. इसमें बलरामपुर भी शामिल है. प्रदूषण के कारण लोग जहरीली हवा में सांस लेने के लिए मजबूर हैं. खासबात यह है कि जिन हाथों में प्रदूषण को रोकने की जिम्मेदारी है. वे ही प्रदूषण फैला रहे हैं.
खुले में डंप कचरा को देते हैं जला कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था नहीं
बलरामपुर जिले में कुल 4 नगर निकाय और 801 ग्राम सभाएं हैं. तकरीबन 25 लाख की आबादी वाले इस जिले में भी पर्यावरण संबंधी समितियां हैं. ये इसकी निगरानी करती हैं कि कहीं पर कोई ऐसा काम न हो, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा हो. लेकिन इस निगरानी तंत्र का कोई फायदा नहीं है. नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत परिषदों द्वारा हर रोज़ सैकड़ों क्विंटल कूड़ा निकालता है और उसे खुले में ही जला दिया जाता है. नगरीय निकायों के पास कूड़ा निस्तारण की कोई व्यवस्था तक नहीं है.
रोजाना 50 टन से अधिक कूड़ा
बलरामपुर नगर से ही रोजाना तकरीबन 50 टन कूड़ा निकलता है. इस कूड़े के निस्तारण के लिए नगर पालिका परिषद बलरामपुर के पास सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत कचरा निष्पादन की कोई व्यवस्था नहीं है. इस कारण से कूड़ा खुले में ही डंप होता है और इसकी दुर्गंध चारों ओर फैलती है.
जिले के तुलसीपुर रोड, बहराइच रोड और उतरौला रोड पर कूड़ा डंप किया जाता है. इस कूड़े को नगर पालिका परिषद के कर्मचारी अक्सर जला देते हैं. कूड़ा जलने से प्रदूषण फैलता है. स्थानीय लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है. यहां के लोग श्वास की बीमारी से ग्रसित भी हो रहे हैं.
क्या कहते हैं भुक्तभोगी
स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर पालिका परिषद द्वारा कूड़ा रिहायशी इलाकों में डंप कर दिया जाता है. नगर पालिका परिषद कर्मी आग लगाकर जला देते हैं. ये कचरा हमेशा जलाकर करता है. इससे निकलने वाला धुआं हमारी सांसों के लिए नुकसानदायक है.
स्ठानीय निवासी अनीशा ने बताया कि हमने कई बार नगर पालिका परिषद में शिकायत भी की, लेकिन हमारी सुनवाई करने को कोई तैयार ही नहीं है.
जिम्मेदार बोले हम करते हैं कार्रवाई
जिले की पर्यावरणीय समिति के सचिव और प्रभागीय वनाधिकारी रजनीकांत मित्तल ने बताया कि साफ आबोहवा मुहैया करवाने के लिए जिले में पर्यावरणीय समिति है. यह समिति निगरानी रखती है कि कहीं पर पर्यावरणीय संबंधी आदेशों, नियमों और एनजीटी के आदेशों का उल्लंघन तो नहीं हो रहा है. यदि उल्लंघन होता है तो हम संबंधित अधिकारी या परिषद पर कार्रवाई करने का भी काम करते हैं. कुछ जगहों से शिकायतें मिल रही हैं. इन शिकायतों को ध्यान में रखते हुए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया गया है. यदि वह समस्याएं जल्द से जल्द नहीं सुलझा पाते तो हम आगे कार्रवाई करने के लिए बाध्य होंगे.