बलरामपुर: लॉकडाउन में वापस गांव लौटे प्रवासी मजदूरों को उत्तर प्रदेश सरकार काम देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन बलरामपुर जिले में मनरेगा योजना में जमकर फर्जीवाड़ा हो रहा है. रोजगार, सेवकों से ग्राम प्रधान मिली भगत करके कागजों में प्रवासी और स्थानीय श्रमिकों को मनरेगा के तहत रोजगार दे रहे हैं. जबकि इसकी हकीकत कुछ और ही है. गांव में न तो मनरेगा के तहत किसी को काम मिल रहा है और न ही मौके पर कोई मजदूर मिल रहे हैं.
बलरामपुर जिले में मनरेगा की वेबसाइट पर तो हजारों मजदूर काम करते दिखाए गए, लेकिन जब ईटीवी भारत ने 3 गांवों में जांच की तो नजारा कुछ और ही था. जब इस मामले में सीडीओ अमनदीप डुली से बातचीत की गई तो उन्होंने कार्रवाई करने के बजाए 3 गांव के मजदूरों के मनरेगा पोर्टल पर लगी ड्यूटी को शून्य करने की बात कहकर मामले से पल्ला झाड़ लिया.
प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के नाम पर प्रदेश सरकार मनरेगा कार्य में तेजी लाने का निरंतर प्रयास कर रही है. बलरामपुर जिला प्रशासन ने 20 जून को जिले में 72 हजार से अधिक श्रमिकों से कार्य कराए जाने का दावा किया.