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बलरामपुर: बाढ़ से पीड़ित कई गांव, प्रशासनिक तैयारियां नाकाफी - बाढ़ से फसल बर्बाद

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले से गुजरने वाली राप्ती नदी अपने उफान पर है. खतरे के निशान से ऊपर बह रही नदी के चलते आस पास के गांव में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है. वहीं बाढ़ पीड़ित लोगों का कहना है कि प्रशासन ने बाढ़ नियंत्रण के लिए उचित व्यवस्था नहीं की है.

बाढ़ से पीड़ित कई गांव.
बाढ़ से पीड़ित कई गांव.

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Published : Jul 12, 2020, 8:32 AM IST

बलरामपुर:नेपाल की पहाड़ियों में हो रही भारी बारिश के कारण बलरामपुर जिले की तराई में बाढ़ का संकट गहरा गया है. राप्ती अपने खतरे के निशान से तकरीबन 20 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. लेकिन, जिला प्रशासन ने बाढ़ के बाबत की गई तैयारियां पर्याप्त नजर नहीं आ रही हैं, बल्कि लोगों को नाव व अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी से भी जूझना पड़ रहा है.

खतरे के निशान से ऊपर बह रही नदी
जिले के तराई क्षेत्र में पड़ने वाले मथुरा-ललिया मार्ग के सड़क का एक हिस्सा बाढ़ में बह गया है. जिससे क्षेत्र के हजारों लोगों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है. जिला प्रशासन बाढ़ से निपटने के लिए सभी तरह की तैयारियों को पूरी कर लेने का दावा कर रहा है.

एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की टीम को बुलाकर स्टेशन कर लेने की बात कही जा रही है, जबकि राप्ती नदी का पानी गांव की ओर बढ़ रहा है. साथ ही बढ़ते जलस्तर के कारण सैकड़ों गांवों पर बाढ़ का खतरा भी बढ़ रहा है. शनिवार शाम 8 बजे राप्ती नदी का जल स्तर 104.81 मीटर था.

लोगों के घरों में भरा पानी
ईटीवी भारत की टीम बाढ़ की स्थिति का जायजा लेने के लिए जब गौरा-तुलसीपुर मार्ग पर स्थित दतरंगवा गांव के पास बने डिप पर पहुंची तो स्थिति बेहद भयावह दिखी. गौरा चौराहे से आगे गौरा तिरकोलिया मार्ग के पास पानी का बहाव काफी तेज था, जबकि दतरंगवा डिप, भूसैलवा डिप, सिंघवापुर डिप के तेजी से बहाव के कारण आस पास के कई गांव प्रभावित दिखे. लोगों के घरों में पूरी तरह पानी चला गया था. लोग बाढ़ के बीच अपनी छतों पर बैठे नजर आए.

बाढ़ से प्रभावित कई गांव
ग्रामीणों ने कहा कि नदी के सिल्ट की सफाई न होने कारण हर साल बाढ़ की वजह से उनकी फसलें और घरों को काफी नुकासान होता है. अगर नदी और नाले के सिल्ट को साफ कर दिया जाए तो इस समस्या से कुछ हद तक निजात पाया जा सकता है. लेकिन जिला प्रशासन करोड़ों रुपये बहाने के बाद भी बाढ़ की समस्या का निपटारा नहीं करा पा रहा है.

वहीं एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि 15 दिन पहले जब बाढ़ आई थी तो जलस्तर कम था, लेकिन इस बार का जलस्तर और बहाव दोनों बहुत तेज है. दतरंगवा, सिंगापुर, गौरा तिरकोलिया, गौरा चौराहा, बीरपुर, भूसैलवा, सोनपुर, गोदाहना, थारुआ, थारुआनिया, गंगापुर, अचलापुर आदि गांवों में बाढ़ की भीषण समस्या बनी हुई है. लोग अपने घरों में दुबके रहने के लिए मजबूर हैं.

सरकारी अधिकारियों का पता नहीं
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि बाढ़ को लेकर प्रशासन की तैयारियां बिल्कुल ही नजर नहीं आ रही हैं, क्योंकि हम सभी के पास न तो सरकारी सहायता पहुंची है और न ही कोई नेता, विधायक या सरकारी अधिकारी हमारी समस्याओं को सुनने आए हैं.

हर साल जब बाढ़ आने पर गौरा-तुलसीपुर मार्ग व जिले के अन्य मार्ग बुरी तरह से प्रभावित हो जाते हैं, लेकिन उन पर पुल बनाने के बजाय प्रशासन बार-बार डिप को ही सही कराकर काम चला लेता है. इससे हर बार धन के साथ ही जनहानि भी होती है.

31 बाढ़ चौकियों की स्थापना
जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने बताया कि बाढ़ से निपटने के लिए हर तरह की तैयारी को पूरा कर लिया गया है. जिले में 31 बाढ़ चौकियों की स्थापना की गई है, जबकि बाढ़ प्रभावित इलाकों में 18 बाढ़ राहत शिविरों व केंद्रों को स्थापित किया गया है. जिले में एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की तीन कंपनी को स्टेशन करके किसी भी खतरे से निपटने के लिए तैयार रखा गया है.

साथ ही बाढ़ के कारण उत्पन्न समस्याओं से निपटने के लिए तहसील स्तर से जिला स्तर तक अधिकारियों व कर्मचारियों को जिम्मेदारियां बांटी गई है. इससे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों को किसी तरह की समस्या नहीं हो सकेगी.

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