बलरामपुर:नेपाल की पहाड़ियों में हो रही भारी बारिश के कारण बलरामपुर जिले की तराई में बाढ़ का संकट गहरा गया है. राप्ती अपने खतरे के निशान से तकरीबन 20 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. लेकिन, जिला प्रशासन ने बाढ़ के बाबत की गई तैयारियां पर्याप्त नजर नहीं आ रही हैं, बल्कि लोगों को नाव व अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी से भी जूझना पड़ रहा है.
खतरे के निशान से ऊपर बह रही नदी
जिले के तराई क्षेत्र में पड़ने वाले मथुरा-ललिया मार्ग के सड़क का एक हिस्सा बाढ़ में बह गया है. जिससे क्षेत्र के हजारों लोगों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है. जिला प्रशासन बाढ़ से निपटने के लिए सभी तरह की तैयारियों को पूरी कर लेने का दावा कर रहा है.
एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की टीम को बुलाकर स्टेशन कर लेने की बात कही जा रही है, जबकि राप्ती नदी का पानी गांव की ओर बढ़ रहा है. साथ ही बढ़ते जलस्तर के कारण सैकड़ों गांवों पर बाढ़ का खतरा भी बढ़ रहा है. शनिवार शाम 8 बजे राप्ती नदी का जल स्तर 104.81 मीटर था.
लोगों के घरों में भरा पानी
ईटीवी भारत की टीम बाढ़ की स्थिति का जायजा लेने के लिए जब गौरा-तुलसीपुर मार्ग पर स्थित दतरंगवा गांव के पास बने डिप पर पहुंची तो स्थिति बेहद भयावह दिखी. गौरा चौराहे से आगे गौरा तिरकोलिया मार्ग के पास पानी का बहाव काफी तेज था, जबकि दतरंगवा डिप, भूसैलवा डिप, सिंघवापुर डिप के तेजी से बहाव के कारण आस पास के कई गांव प्रभावित दिखे. लोगों के घरों में पूरी तरह पानी चला गया था. लोग बाढ़ के बीच अपनी छतों पर बैठे नजर आए.
बाढ़ से प्रभावित कई गांव
ग्रामीणों ने कहा कि नदी के सिल्ट की सफाई न होने कारण हर साल बाढ़ की वजह से उनकी फसलें और घरों को काफी नुकासान होता है. अगर नदी और नाले के सिल्ट को साफ कर दिया जाए तो इस समस्या से कुछ हद तक निजात पाया जा सकता है. लेकिन जिला प्रशासन करोड़ों रुपये बहाने के बाद भी बाढ़ की समस्या का निपटारा नहीं करा पा रहा है.