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बलरामपुर: जिले में बिन जिम्मेदारों के चलता है कस्तूरबा आवासीय विद्यालय - बिन जिम्मेदारों के चलता है कस्तूरबा आवासीय विद्यालय

बलरामपुर जिले के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों की स्थिति आज भी सुधरने का नाम नहीं ले रही है. यहां विद्यालयों में शिक्षकों के अनुपस्थित रहने की आदत सी बन गई है. यहां पढ़ने वाले बच्चों की शिकायत है कि यहां न तो अच्छा भोजन मिल पाता है और न ही इन्हें पढ़ाई की बेहतर सुविधाएं.

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जिले में बिन जिम्मेदारों के चलता है कस्तूरबा आवासीय विद्यालय.

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Published : Jan 24, 2020, 1:50 PM IST

बलरामपुर:जिले के सुदूर गांवों में बसने वाले परिवारों की बच्चियों को इस समाज में बेहतर स्थान मिल सके, वह भी पढ़-लिख कर अपने सपनों को उचाइयां दे सकें, इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों की स्थापना की थी. इसके बावजूद शिक्षा के मामले में देश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार बलरामपुर में स्थिति बदलने का नाम नहीं ले रही है.

जिले में 11 कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय स्थापित हैं, जिनमें गरीब परिवारों से ताल्लुक रखने वाली तकरीबन 1100 बालिकाएं अपने सपनों को उड़ान देने के लिए पढ़ाई करती हैं. हालांकि, शिक्षकों की मनमानी और भ्रष्टाचार का दीमक इनकी जिदगियां तबाह करने में लगा है.

जिले में बिन जिम्मेदारों के चलता है कस्तूरबा आवासीय विद्यालय.
कैसे होता है भ्रष्टाचार खेलबेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों में शिक्षकों के अनुपस्थित रहने का मामला नया तो नहीं है, लेकिन इनके कारण न केवल बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है, बल्कि आवासीय विद्यालयों में रहने वाले बच्चों के सुरक्षा पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है. आरोप है कि शिक्षकों के लगातार अनुपस्थित रहने का खेल बीएसए कार्यालय और साथी शिक्षकों की मेहरबानी पर होता है. इसके लिए जब कोई जांच होती है तो पहले से जमा प्रार्थना पत्र का हवाला देकर छुट्टी बता दिया जाता है. अधिकारी भी जांच की बात कहकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेते हैं.

ये हैं समस्याएं
आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से ताल्लुक रखने वाले बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ-साथ रहने व खाने की भी व्यवस्था सरकार द्वारा की जाती है. यहां पढ़ने वाले बच्चों की शिकायत है कि यहां ना तो अच्छा भोजन मिल पाता है और न ही इन्हें पढ़ाई की बेहतर सुविधाएं. कारण है कि शिक्षक और कर्मचारी आए दिन नदारद रहते हैं. खाने की समस्याओं पर बात करते हुए बालिकाएं कहती हैं कि कभी सही नाश्ता नहीं मिलता, तो कभी सही भोजन नहीं मिलता. मेन्यू तो बना हुआ है, लेकिन भोजन उसके अनुसार नहीं दिया जाता है.

क्या कहते हैं आंकड़ें
जिले में 11 कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय संचालित हैं. इन सभी विद्यालयों में कक्षा 6 से 8 तक की पढ़ाई ब्लॉक मुख्यालय स्तर पर करवाई जाती है. इनमें से तीन विद्यालयों का संचालन महिला समाख्या द्वारा किया जाता है. वहीं आठ विद्यालयों को बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित किया जा रहा है. इन विद्यालयों में पढ़ने वाली बेटियां आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से ताल्लुक रखती हैं. इनमें अध्यनरत बालिकाओं की संख्या 1093 है. इन विद्यालयों में कुल 165 शिक्षक और कर्मचारी तैनात हैं. वहीं सभी विद्यालयों में अभी कुल 4 पद रिक्त बताए जाते हैं. इन बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए सरकार रोजाना प्रति बालिका कम से कम 120 रुपए खर्च करती है. इनमें से 50 रुपए भोजन पर ही खर्च होता है. इन विद्यालयों का संचालन जवाहर नवोदय विद्यालय के तर्ज पर किया जाता है.

क्या कहते हैं जिम्मेदार
बेसिक शिक्षा अधिकारी महेंद्र नाथ कन्नौजिया बताते हैं कि कस्तूरबा आर्य बालिका विद्यालय में तैनात शिक्षकों के बारे में शिकायतें मिलती रहती हैं. हमने इनकी जांच का आदेश पहले भी दिया है. आपके द्वारा पुनः सूचित किया जा रहा है. इसलिए एक बार फिर राजकीय इंटर कॉलेजों के शिक्षकों द्वारा गोपनीय ढंग से जांच करवाई जाएगी. रिपोर्ट में जो भी गलत पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.

वहीं मुख्य विकास अधिकारी अमनदीप डुली कहते हैं कि जिले के इन विद्यालयों में समस्याएं हैं. अभी हमारे पास स्थायी तौर पर बेसिक शिक्षा अधिकारी नहीं हैं, इसलिए भी तमाम तरह की समस्याएं हैं. जांच करवा कर गैर जिम्मेदार शिक्षकों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.

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