बलरामपुर: 11 अक्टूबर 2014 को प्रारंभ की गई सांसद आदर्श ग्राम योजना का उद्देश्य गांवों और वहां के लोगों में मूल्यों को स्थापित करना है और लक्ष्य था कि हर सांसद साल भर में एक गांव को गोद लेकर उसको सभी जरूरी सुविधाओं से पूरा करेगा. इसी के चलते श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र से निवर्तमान सांसद दद्दन मिश्रा ने बलरामपुर और श्रावस्ती जिले के दो-दो गांवों को गोद लिया था लेकन सभी गांवों में कमोवेश स्थिति बेहद खराब है. इन गांवों ना तो पीएम की मंशा के अनुरूप विकास हुआ है और ना ही केंद्र सरकार की उन तमाम योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को मिल सका है.
जानिए दो साल में कितनी बदली सांसद आदर्श ग्राम गुमड़ी की तस्वीर
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल के पहले साल ही सांसद आदर्श ग्राम नाम की योजना को लॉन्च किया था.
- मकसद था कि सांसद अपने पूरे पांच साल के कार्यकाल में पांच गांव को गोद लेंगे और उन्हें नजीर की तरह बनाएंगे.
- उन्हें केंद्र और राज्य सरकारों से मिलने वाली सभी योजनाओं से आच्छादित करेंगे, जिनके जरिए ग्रामीणों का जीवन स्तर ऊंचा हो सकेगा
- इसके साथ ही इस योजना का लक्ष्य यह भी था कि ग्रामीणों को अधिक से अधिक सुविधा दी जा सकेगी, जिनकी तलाश में वह पिछले 70 सालों से उदास बैठे हुए है लेकिन यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी.
- सांसद कभी राज्य सरकार के ऊपर इसका ठीकरा फोड़ते हैं. तो कभी अपनी ही गलतियों को स्वीकार करने से कतराते हैं.
- सांसद आदर्श ग्राम में हुए विकास की पड़ताल करने के लिए ईटीवी ने सांसद आदर्श ग्राम गुमड़ी का रुख किया.
- गुमड़ी तकरीबन 6,000 वोटर्स और 10,000 की जनसंख्या वाला गांव है. यहां पर 3145 पुरुष वोटर्स है. जबकि 2856 महिलाएं मतदान करती है.
- ग्राम पंचायत में कुल परिवारों की संख्या 1009 है तकरीबन 800 हेक्टेयर में फैली इस गांव में पिछड़ा, मुस्लिम और दलित वोटर्स की बहुलता है.
- यहां पर विकास की तमाम योजनाओं को बनाया तो गया. लेकिन जमीन पर दो साल बीतने के बाद भी लागू नहीं हो सकी.
- गांव की सड़कें अभी भी पगडंडियों में ही तब्दील है.
- ग्रामीण बताते हैं कि गांव के सभी 22 महीनों में सड़कों का नितांत अभाव है. जैसे ही गोंडा रोड से गांव की तरफ घुसते हैं, तुरंत सड़के खराब हो जाती है.
- बरसात के मौसम में स्थितियां होती है कि लोग अपने घरों में ही दुबके रह जाते हैं. लेकिन जनप्रतिनिधि ने हमारी समस्याओं को सुनने का प्रयास तक नहीं किया.
- वहीं ग्रामीण महिलाओं से उज्जवला योजना के बारे में पूछने पर वह कहती हैं कि जिसे मिला होगा उसे मिला होगा. लेकिन हमें इस योजना का कोई लाभ नहीं मिला.
- वह कहती हैं कि अगर सिलेंडर मिल भी जाता तो गैस सिलेंडर कितना महंगा हो चुका है कि हमारे पास भरवाने की ताकत नहीं है.
- वहीं गांव सभी 100 परिवारों के पास शौचालय लेकिन शौचालयों के निर्माण का स्तर इतना घटिया है कि वहां पर शौच किया ही नहीं जा सकता.
- सांसद आदर्श ग्राम योजना के बारे में पूछने पर ग्रामीण कहते हैं कि इस योजना के अंतर्गत तो कोई लाभ नहीं हुआ.
- गुमड़ी ग्राम सभा के प्रधान डीके यादव कहते हैं कि सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत तकरीबन 400 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का डीपीआर बनाकर शासन को भेजा गया है.
- सांसद दद्दन मिश्रा ने मुझे बार-बार आश्वस्त किया कि मेरे कार्यकाल में ही आपके गांव की सड़कें, नाली, बिजली और अन्य व्यवस्थाएं सुधर जाएंगी. लेकिन गांव में अभी तक कोई बड़ी परियोजना लागू नहीं हो सकी है.