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Published : Nov 16, 2019, 11:41 PM IST

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बलरामपुर के इन गांवों तक नहीं पहुंचतीं पीएम आवास जैसी योजनाएं !

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में 10 हजार परिवारों को पीएम आवास योजना के तहत शहरी और ग्रामीण इलाकों में आवास देने का दावा किया जा रहा है, लेकिन जिले के कुछ पिछड़े ग्रामसभाओं में पीएम आवास जैसी योजनाओं की हकीकत कुछ और ही है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

बलरामपुर में नहीं पहुंचती सरकारी योजनाएं.

बलरामपुर:जिले के तकरीबन 10 हजार परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी और ग्रामीण इलाकों को मिलाकर आवास देने की बात कही जा रही है. इन परिवारों में अंत्योदय श्रेणी के अंतर्गत आने वाले लोगों को शामिल किया गया है, जो बेहद गरीब हैं. इसके साथ ही सेग डाटा के अनुसार चुने गए सभी पात्रों को आवास देने की बात कही जा रही है.

नहीं पहुंचतीं सरकारी योजनाएं
बरहवा ग्रामसभा, जो हरैया सतघरवा ब्लॉक के अंतर्गत आता है. वहां पर रहने वाले अधिकतम परिवारों के पास आय का कोई संसाधन नहीं है. यहां के मर्द अमूमन बड़े शहरों में जाकर मेहनत मजदूरी करते हैं. जंगल से सटे इलाका होने के कारण इन लोगों के पास न तो घर बनाने की सुविधा है और न ही ये लोग इस मामले में सक्षम ही नजर आते हैं. फिर भी यहां पहुंचते-पहुंचते केंद्र सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाएं फेल साबित होती है.

निवासियों को नहीं मिला पीएम आवास
लखाही मजरे में रहने वाले तौव्वाब और आयशा बताते हैं कि इनके पास आवास की सुविधा नहीं है. इनके जैसे ही इस गांव में रहने वाले सैकड़ों परिवारों के पास भी आवास की सुविधा नहीं है, लेकिन सरकारी तंत्र के आंखों में इस कदर पट्टी बंधी है कि वह इस तरह के पात्र लोगों को पहचान तक नहीं पाते.

देखें विशेष रिपोर्ट.

ग्राम प्रधान मांगते हैं घूस
तौव्वाब बताते हैं कि उनके नाम से आने वाले आवास को ग्राम प्रधान द्वारा केवल इसलिए किसी दूसरे के नाम पर अलॉट कर दिया गया है, क्योंकि वे ग्राम प्रधान को घूस नहीं दे सके. वहीं तकरीबन 60 साल की बुजुर्ग आयशा बताती हैं कि उनके पति का सालों पहले देहांत हो गया था. वे बेहद गरीब हैं, फिर भी उन्हें आवास की सुविधा आज तक मुहैया नहीं हो सकी है. वह तो यहां तक कहती हैं कि उन्हें न तो राशन मिलता है और न ही उनके पास खेत है. वह किसी तरह मेहनत-मजदूरी करके अपना गुजर-बसर कर रही है.

अतिरिक्त आवासों की जरूरत
अधिकारियों के दावों को ही अगर मान लिया जाए तो बलरामपुर जिले में 801 ग्रामसभाओं में रहने वाले तकरीबन पांच लाख परिवारों में से 50 हजार परिवार ऐसे हैं, जो अंत्योदय श्रेणी के अंतर्गत आते हैं. अंत्योदय श्रेणी के अंतर्गत आने वाले लोगों को ही यदि आवास उपलब्ध करवाया जाए तो तकरीबन 40,000 अतिरिक्त आवास की आवश्यकता होगी. इसके साथ ही जंगल से सटे इलाकों के 100 से अधिक ग्रामसभाओं में रहने वाले परिवारों पर ही अगर ध्यान दिया जाए तो इनकी संख्या तकरीबन 10 हजार के आसपास होगी.

प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत तकरीबन 10,000 परिवारों को आवास मुहैया करवाया जा चुका है. आने वाले समय में 20,000 अतिरिक्त परिवारों को आवास देने की योजना है, जो दो-तीन सालों में स्टेप बाय स्टेप दी जाएगी. बलरामपुर के जंगल से सटे इलाकों में हम लोग प्राथमिकता के तौर पर सरकारी योजनाओं को लागू कर रहे हैं. इस तरह के गांवों में जहां भी जंगली जानवरों से जुड़ी या जनित समस्या है. वहां पर प्राथमिकता के तौर पर आवास दिया जा रहा है. जंगल से सटे इलाकों के गांवों को जल्द से जल्द आवास उपलब्ध करवाया जाएगा.

कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी

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