बलरामपुर:जिले के तकरीबन 10 हजार परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी और ग्रामीण इलाकों को मिलाकर आवास देने की बात कही जा रही है. इन परिवारों में अंत्योदय श्रेणी के अंतर्गत आने वाले लोगों को शामिल किया गया है, जो बेहद गरीब हैं. इसके साथ ही सेग डाटा के अनुसार चुने गए सभी पात्रों को आवास देने की बात कही जा रही है.
नहीं पहुंचतीं सरकारी योजनाएं
बरहवा ग्रामसभा, जो हरैया सतघरवा ब्लॉक के अंतर्गत आता है. वहां पर रहने वाले अधिकतम परिवारों के पास आय का कोई संसाधन नहीं है. यहां के मर्द अमूमन बड़े शहरों में जाकर मेहनत मजदूरी करते हैं. जंगल से सटे इलाका होने के कारण इन लोगों के पास न तो घर बनाने की सुविधा है और न ही ये लोग इस मामले में सक्षम ही नजर आते हैं. फिर भी यहां पहुंचते-पहुंचते केंद्र सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाएं फेल साबित होती है.
निवासियों को नहीं मिला पीएम आवास
लखाही मजरे में रहने वाले तौव्वाब और आयशा बताते हैं कि इनके पास आवास की सुविधा नहीं है. इनके जैसे ही इस गांव में रहने वाले सैकड़ों परिवारों के पास भी आवास की सुविधा नहीं है, लेकिन सरकारी तंत्र के आंखों में इस कदर पट्टी बंधी है कि वह इस तरह के पात्र लोगों को पहचान तक नहीं पाते.
ग्राम प्रधान मांगते हैं घूस
तौव्वाब बताते हैं कि उनके नाम से आने वाले आवास को ग्राम प्रधान द्वारा केवल इसलिए किसी दूसरे के नाम पर अलॉट कर दिया गया है, क्योंकि वे ग्राम प्रधान को घूस नहीं दे सके. वहीं तकरीबन 60 साल की बुजुर्ग आयशा बताती हैं कि उनके पति का सालों पहले देहांत हो गया था. वे बेहद गरीब हैं, फिर भी उन्हें आवास की सुविधा आज तक मुहैया नहीं हो सकी है. वह तो यहां तक कहती हैं कि उन्हें न तो राशन मिलता है और न ही उनके पास खेत है. वह किसी तरह मेहनत-मजदूरी करके अपना गुजर-बसर कर रही है.