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बलरामपुर: जंगली जानवरों के हमलों को रोकेने के लिए वन विभाग ने बनाया प्लान

सुहेलवा वन्य जीव प्रभाग के सेंचुरी एरिया से सटे गांवों के लोग जंगली जानवरों के हमलों से परेशान रहते हैं. इन हमलों के रोकने लिए वन विभाग ने सेंचुरी क्षेत्र के आस-पास ग्रास लैंड (घास का मैदान) विकसित करने की कवायद शुरू कर दी है.

सुहेलवा वन्य जीव प्रभाग

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Published : Aug 10, 2019, 7:03 PM IST

बलरामपुर: सेंचुरी में लगातार हो रहे मानव अतिक्रमण के चलते उसमें रहने वाले जानवरों को पर्याप्त भोजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. यही कारण है कि तेंदुआ और बाघ जैसे खतरनाक जानवर आबादी में घुस रहे हैं. बच्चों और मवेशियों को निशाना बना रहे हैं. वन विभाग इन हमलों को रोक पाने में अभी तक नाकाम रहा है, जिससे ग्रामीणों में वन विभाग के खिलाफ आक्रोश है. इसको लेकर वन विभाग ने कार्य शुरू कर दिया है.

450 वर्ग किलोमीटर में फैले वन्य जीव प्रभाग में अब सभी जानवरों के लिए पर्याप्त चैन तैयार करने की योजना को अंतिम रूप दिया जा चुका है. सेंचुरी क्षेत्र में पुराने 11 ग्रास लैंड के अलावा 6 नए ग्रास लैंड विकसित किए जाएंगे. इन ग्रास लैंड के विकसित होने से सेंचुरी में रहने वाले जंगली जानवरों की आबादी बढ़ेगी. सभी को भोजन के लिए पर्याप्त घास, शिकार और रहन सहन की व्यापक व्यवस्था सेंचुरी के अंदर ही मिल सकेगी. इसके जरिए, उन्हें सेंचुरी क्षेत्र से बाहर निकलकर ग्रामीण क्षेत्रों में जाने की आवश्यकता नहीं होगी.

सेंचुरी क्षेत्र के आस-पास विकसित किए जाएंगे ग्रास लैंड.

11 ग्रास लैंड को भी पुनः विकसित करने की योजना
डीएफओ बलरामपुर व प्रभागीय वनाधिकारी रजनीकांत मित्तल ने कहा कि इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ वाइल्डलाइफ हैबिटेट नाम के प्रोग्राम के जरिए सेंचुरी क्षेत्र में 6 नए ग्रास लैंड को विकसित करने की योजना है. इसके साथ ही पुराने 11 ग्रास लैंड को भी पुनः विकसित करने की योजना है. इसके लिए कुल 13,50,000 रुपये के बजट की व्यवस्था की जा चुकी है. इस दिशा में काम भी शुरू हो गया है.

जानवरों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी
उन्होंने कहा कि जैसा कि इस योजना का नाम ही इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट आफ वाइल्डलाइफ हैबिटेट है तो इसके जरिए हम घास के मैदानों को डेवलप करके फूड चैन को विकसित करेंगे. जिसके जरिए बाघ, तेंदुए और अन्य जंगली जानवरों के साथ-साथ हिरणों व अन्य शाकाहारी प्रवृति के जानवरों की संख्या बढ़ जाएगी. इन घास के मैदानों के जरिए न केवल फूड चैन डेवलप किया जा सकेगा, बल्कि इसके जरिए हम गांवों में जानवरों के हमले व चहल पहल को भी रोक सकेंगे. इसके साथ ही भोजन की पर्याप्त मात्रा जब उपलब्ध होगी तो जानवरों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी.

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