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बलरामपुर: इन आम की किस्मों की खेती से किसान कमा रहे तीन गुना से ज्यादा मुनाफा - बलरामपुर की खबरें

आम का मौसम, आम का स्वाद और आम के रंग, किसे नहीं भाते. आम को फलों का राजा कहा जाता है. वहीं बलरामपुर जिला में आम की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है. इससे किसान अच्छे खासे लाभान्वित होते हैं. आम की बागवानी में मोटा मुनाफा कमाने की सबसे बड़ी वजह हैं आम की दो खास प्रजातियां. मल्लिका और आम्रपाली. इन आमों के आकार के अलावा इनके पकने का समय मुनाफे की सबसे बड़ी वजह भी बनता है.

mallika mango breed
तिलकपुर राजकीय पौधशाला में इन प्रजातियों के आमों को तैयार किया जाता है.

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Published : Jul 11, 2020, 10:17 AM IST

बलरामपुर:आम एक ऐसा फल है, जो फलों का राजा कहा जाता है. बलरामपुर की धरती पूरे देश में मिनी मलिहाबाद के रूप में विख्यात है. जहां पर आम के फलों की बड़े पैमाने पर पैदावार होती है. इन्हीं में से आम की दो खास प्रजातियां हैं. आजकल किसानों के खेतों की शान बनता हुआ दिख रहा है. किसान इससे बड़े पैमाने पर लाभान्वित भी होते हैं.

मल्लिका और आम्रपाली प्रजातियों के आम ढाई सौ ग्राम से लेकर आधे किलो तक के होते हैं. आम के अन्य नस्लों के मुकाबले ये दोनों आम देरी से उपज देते हैं. यह सीजन के अंत तक अपनी खुशबू व मिठास से लोगों के मन को ललचाते रहते हैं. आम के मौसम के पीक गुजर जाने के बाद तैयार होने के कारण यह किसान भाइयों के लिए भी फायदे का सौदा है.

तिलकपुर राजकीय पौधशाला में इन प्रजातियों के आमों को तैयार किया जाता है.

इन प्रजातियों के आमों को किया जाता है तैयार
बलरामपुर जिले के तिलकपुर स्थित राजकीय पौधशाला में इन दोनों आमों की प्रजातियों को तैयार किया जा रहा है. इसके तकरीबन एक-एक हजार पौधे तैयार किए जा चुके हैं. ये पौधे व्यापक पैमाने पर आम की खेती करने वाले किसानों को बड़े पैमाने पर दिए जा रहे हैं, जिससे ये वह अपनी आय बढ़ा सकें. तिलकपुर राजकीय पौधशाला में इसके अलावा तोतापरी, राम कटहल, देशी, दशहरी व अन्य तरह के दर्जनभर आम की प्रजातियों के कलम भी बांधे जा रहे हैं. इन्हें लगाने के लिए किसानों व बागवानों को दिया जा रहा है.

आम की प्रजाति और पैदावार के बारे में बताते किसान और अधिकारी.

इन सभी प्रजातियों में खास बात यह है कि ये कम स्थान में तैयार हो जाते हैं. वहीं अगर हम मल्लिका व आम्रपाली नस्लों की बात करें तो इनका जबरदस्त स्वाद आम प्रेमियों को अपना दीवाना बना देता है. यही कारण है कि ये चौसा व दशहरी का विकल्प भी बन रहा है.

इस प्रजाति के आम सबसे बाद में पकते हैं.

इनकी खेती में तीन गुना से ज्यादा फायदा
मल्लिका व आम्रपाली आमों की प्रजातियां अन्य के मुकाबले देरी से तैयार होती हैं. इनमें फूल और फल तो अप्रैल-मई में ही आने शुरू हो जाते हैं, लेकिन इनकी फसल जुलाई से लेकर अगस्त के अंत तक जारी रहती है. अगस्त के अंत तक तैयार होकर मिलने के कारण आम्रपाली और मल्लिका के आमों के दाम मार्केट में अन्य के मुकाबले अधिक रहते हैं. इस कारण आमप्रेमी अगस्त महीने तक आम का लुत्फ उठा पाते हैं.

राजकीय पौधशाला तिलकपुर के प्रभारी बुधिराम बताते हैं कि इन प्रजातियों के आमों के एक हजार पौधे तैयार किए जा चुके हैं. इन पौधों को लोगों को पौधरोपण के लिए दिया जा रहा है. यहां पौधों की कीमत 39 रुपये है, जिसे कोई भी किसान भाई या बागवान यहां से खरीद कर अपने घर-आंगन या बागों में लगा सकता है.

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