बलरामपुर:जिले में स्थित 2232 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है बावजूद इसके स्थिति बहुत दयनीय है. 2 साल से काम कर रही केंद्र सरकार की नीति आयोग और उसके सहयोगी संस्थान भी बच्चों की शिक्षा में कोई बदलाव न ला सके.
इसे भी पढ़ें :- बलरामपुर में हाशिये पर शिक्षा व्यवस्था, शिक्षामित्र के सहारे चल रहा स्कूल
शिक्षा का ग्राउंड स्तर है जीरो-
जिले में कुल 1575 प्राथमिक विद्यालय हैं, जबकि 646 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं. इन विद्यालयों में तकरीबन सवा दो लाख से ज्यादा बच्चे अध्ययनरत हैं. शिक्षा के लिए नीति आयोग की तमाम कोशिशों के तहत पीरामल फाउंडेशन, प्रथम फाउंडेशन और अन्य कई समाजसेवी संगठनों ने बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का दावा किया है जो सच होता नहीं दिख रहा.
तुलसीपुर शिक्षा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले करण गांव प्राथमिक विद्यालय के पांचवी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे दूसरी कक्षा के मामूली सवालों के जवाब नहीं दे पाते. स्थिति ऐसी है कि न तो बच्चों को सही से पढ़ना आता है और न ही लिखना.
थर्ड पार्टी इन्वेस्टिगेटर है शिक्षा में सहायक
जिलाधिकारी का कहना है कि कमजोर बच्चों को थर्ड पार्टी इन्वेस्टिगेटर के माध्यम से पढ़ाई में सुधार लाया जाएगा. इसके तहत अगर दूसरी कक्षा में पढ़ने वाला विद्यार्थी पहली कक्षा के सवालों का जवाब नहीं दे पाता तो उसको पहले पहली कक्षा के स्तर से पढ़ाया जाएगा. पिछले जनवरी से जिले में बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता को सुधारने के लिए कई काम किए जा रहे हैं. प्राथमिकता के तौर पर छात्र-शिक्षक अनुपात को पहले सही किया गया है और इसके लिए तकरीबन एक हजार से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति की गई है.
बच्चों की शिक्षा को रोचक और बेहतर बनाने के लिए प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत जिले के एक हजार से अधिक प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में स्मार्ट क्लासेस की सुविधाओं को शुरू करने की बात भी की जा रही है. इसके लिए टीचर्स की ट्रेनिंग करवाई जा रही है. जैसे ही ट्रेनिंग पूरी हो जाएगी, बच्चों को ऑडियो-विजुअल के माध्यम से पढ़ाई करने का मौका मिलेगा, जिससे वह तेजी से सीख सकेंगे.
-कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी