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बलरामपुर: भवन बन चुके जर्जर, जान जोखिम में डालकर बच्चे कर रहे पढ़ाई

बलरामपुर जिले में ऑपरेशन कायाकल्प के जरिए परिषदीय विद्यालय की स्थिति में सुधार की बात की जा रही थी लेकिन प्राथमिक विद्यालय नंदनगर नवीन का भवन बने 5 साल भी नहीं बीता की भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. खंडहर बन चुके इस भवनों में बच्चे 8 घंटे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

खंडहर बन चुके विद्यालय भवन

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Published : Nov 12, 2019, 9:36 AM IST

बलरामपुर:जिले में ऑपरेशन कायाकल्प के जरिए परिषदीय विद्यालयों की सेहत सुधारने की बात की जा रही थी. भवनों को रीनोवेट करवाकर, बच्चों को अच्छी सुविधाएं देने की बात कहते-कहते प्रशासन शायद भूल गया कि सैंकड़ों प्राथमिक विद्यालय और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे आज भी खंडहरनुमा भवन में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. बच्चों के लिए फाइव स्टार भवनों को बनाने की बात कहने वाला बेसिक शिक्षा और ग्राम विकास विभाग बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने का काम कर रहा है.

खंडहर बन चुके विद्यालय भवन.
खंडहर में तब्दील हुआ विद्यालय भवनजिले में कुल 2,235 प्राथमिक विद्यालय और उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं. जहां पर तकरीबन 2,35,000 बच्चे पढ़ाई करते हैं. इनके भविष्य को सुधारने की बात करने वाला बेसिक शिक्षा विभाग न तो इन्हें शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवा पा रहा है और न ही कमरों की सुविधा. खंडहरनुमा भवनों में बच्चे 8 घंटे अपनी जान जोखिम में डालकर यहां पढ़ाई करने को मजबूर हैं.विद्यालय में न शौचालय की व्यस्था न ही पेयजल कीप्राथमिक विद्यालय नंदनगर नवीन का भवन बने 5 साल भी नहीं बीता की भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. हाल ही में बनाए गए अतिरिक्त कक्ष में बच्चे पढ़ाई करते हैं. भवन को बाहर से पेंट कराकर विभाग, महज खानापूर्ति करने का काम कर रहा है. यहां पढ़ाई करने वाले बच्चे बताते हैं कि विद्यालय में न तो बाउंड्री है और न ही ढ़ंग के कमरों की स्थिति ठीक है. कमरों में बिम तक गिर चुके हैं. इसके अतिरिक्त विद्यालय में न तो पेयजल की व्यवस्था है और न ही शौचालय की.जब इस मामले पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी हरिहर प्रसाद ने बताया कि कायाकल्प योजना के अंतर्गत ग्रामीण विकास विभाग द्वारा तमाम अन्य विद्यालयों को भी चिन्हित किया गया है. बजट की कमी के कारण विकास बंद है. डोंगल विधि से पैसा निकालने की बात कही गई है जो अभी तक लागू नहीं हो पाई. उन्होंने कहा है कि पैसा उपलब्ध हो जाएगा तो यह कार्य कराया जाएगा. भुगतान इसलिए प्राथमिक विद्यालय और उच्च माध्यमिक विद्यालयों का विकास नहीं हो पा रहा है.

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