बलरामपुर:सदियों से अपनी मेहनत और काबलियत के लिए जानी जाने वाली आदिवासी जनजाति थारु, आज मुख्य धारा से जुड़ने का पुरजोर कोशिश कर रही है. सरकार की तमाम योजनाएं इनके जीवनस्तर को न केवल उठाने का काम कर रही हैं, बल्कि इन्हें समाज के मुख्यधारा में जोड़ने का काम भी कर रही हैं.
बलरामपुर: थारू जनजाति के छात्रों के लिए वरदान साबित हो रही ये आईटीआई
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में स्थित आईटीआई थारू जनजाति के बच्चों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. यहां के 45 गांवों में रहने वाले थारु जनजाति के छात्र छात्राएं इंजीनियरिंग और इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग की पढ़ाई करके अपने समाज को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
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ये आईटीआई हम थारु जनजाति के लोगों के लिए वरदान सरीखा है. हम यहां ना केवल इंडस्ट्री से जुड़ी प्रोफेशनल कोर्स कर रहे हैं, बल्कि हमें बड़े पैमाने पर नौकरी भी मिल रही है.
प्रशांत चौधरी, छात्र
पहले इस तरह की पढ़ाई करने के लिए हमें गोंडा और लखनऊ जैसे शहरों का रुख करना पड़ता था, लेकिन अब हम अपने गांव के पास ही रहकर यहां पढ़ाई करते हैं और अपना भविष्य संवार रहे हैं.
पूनम चौधरी, छात्रा
इस रिमोट एरिया में आईटीआई की स्थापना का मकसद था कि यहां पर आसपास रहने वाले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्र छात्राओं को हुनरमंद बना कर समाज की मुख्य धारा में जोड़ा जा सके. यहां की 75 फीसदी सीटें एससी और एसटी समाज के छात्र-छात्राओं के आरक्षित है.
इंजीनियर केएन पांडेय, प्राचार्य, आई टीआई विशुनपुर