बलरामपुर: जिले में राप्ती नदी अभी खतरे के निशान से नीचे बह रही है, बाढ़ ने अभी दस्तक नहीं दी है. पहाड़ी नालों व नेपाल से छोड़े गए पानी की वजह से यहां के तराई के इलाकों में छिटपुट बाढ़ आती है. लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन बाढ़ आने के बाद सजगता दिखाता है.
राप्ती नदी के प्रभाव में तटवर्ती इलाकों में बाढ़ का पानी छटने के साथ ही कटान का दौर शुरू हो जाता है. जिले के उतरौला तहसील अंतर्गत आने वाले चंदापुर बांध और उसके आसपास के इलाकों में धीरे-धीरे कटान शुरू हो गई है. चंदापुर बांध के पास कोडरवा, लारम, केरावगढ़, खमहरिया व अलादाद नगर सहित तमाम गांव स्थित हैं.
गांव के हालात के बारे में बताते ग्रामीण. ग्रामीणों का कहना है कि कटान का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है. तटवर्ती गांव अब नदी की जद से बस 50 मीटर तक बचे हैं. कटान और बाढ़ के कारण पिछले कई सालों से किसी भी फसल की कटाई नहीं हो पा रही है. सब कुछ नदी में समाहित हो जाता है. इस बार भी गन्ना, धान व अन्य फसलों की कटाई नहीं हो पाएगी.
कटान रोकने की कवायद बाढ़ से पहले होनी चाहिए, लेकिन प्रशासन बाढ़ आने के बाद सजगता दिखाती है. जिला प्रशासन और बाढ़ खंड के लोग अभी तक गांव में स्थिति का जायजा लेने के लिए नहीं पहुंचे हैं. उतरौला के एसडीएम अरुण कुमार गौड़ ने बताया कि अभी बाढ़ जैसी कोई स्थिति नहीं है. नदी खतरे के निशान से नीचे बह रही है. कुछ स्थानों पर कटान की शिकायत मिली है, जिससे बांस की फ्लैट, फट्टियां लगाकर रोकने का काम किया जा रहा है.