बलरामपुर: दुनिया को इंसानियत की सीख देने वाले सिखों के पहले गुरु गुरुनानक देव जी महाराज के 550वें प्रकाशोत्सव पर्व के उपलक्ष्य में सर्वधर्म समभाव शोभायात्रा गोंडा जिले के करनैलगंज से चलकर जरवल, बहराइच होते हुए बलरामपुर पहुंची. पंजाब के अमृतसर से प्रमुख तौर पर आए गुरु ग्रंथ साहिब और जत्थे के लोगों ने तलवारबाजी, पंजाबी बैंड और चरखा चलाकर बेहतरीन करतब दिखाए. इस शोभायात्रा का स्वागत नगर के हर समुदाय ने जोर-शोर से किया.
गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव पर्व पर निकाली भव्य शोभायात्रा. गुरु नानक देव जी महराज के 550वें प्रकाशोत्सव पर निकली शोभायात्रा
सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव जी महाराज के 550वें प्रकाशोत्सव पर्व को मनाने के लिए एक तरफ जहां पूरा देश 12 नवंबर को तैयार बैठा है, वहीं दूसरी तरफ शोभायात्राओं, लंगर और विशेष आयोजनों के जरिए सिख धर्म के अनुयायी अपने पहले गुरु में श्रद्धा व्यक्त कर रहे हैं.
कई जिलों से होकर बलरामपुर पहुंची शोभायात्रा
इसी कड़ी में देवीपाटन मंडल के सिख समुदाय के लोगों ने मंडल के सभी जिलों में एक शोभायात्रा निकाली, जो शनिवार को बलरामपुर पहुंची. बलरामपुर में टेढ़ी बाजार स्थित गुरुद्वारा है. यह यात्रा यहां विश्राम करेगी और उसके बाद उतरौला के लिए प्रस्थान करेगी. इस शोभायात्रा के दौरान पंजाब से आए कलाकारों ने न केवल विभिन्न तरह के करतबों से लोगों का मन मोह लिया, बल्कि यात्रा के दौरान जगह-जगह स्वागत समारोह का भी आयोजन किया.
जिले के सभी लोगों ने किया शोभायात्रा का भव्य स्वागत
बहराइच रोड से बलरामपुर की सीमा में प्रवेश करने वाली यह शोभायात्रा वीर विनय चौक, मेजर चौराहा, बड़ा चौक होते हुए टेढ़ी बाजार स्थित गुरुद्वारे पर पहुंची. इस दौरान शोभायात्रा का स्वागत तमाम राजनीतिक दलों और उनके नेताओं ने किया. वहीं दूसरी तरफ सिख धर्म के साथ-साथ सर्वसमाज के लोगों ने भी शोभायात्रा का स्वागत सत्कार किया. शोभायात्रा के दौरान रास्ते भर लोग अपनी छतों से फूल बरसाते रहे.
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गुरु नानक ने दिया है सर्वधर्म समभाव की शिक्षा
शोभायात्रा में पंजाब के अमृतसर से प्रमुख तौर पर गुरु ग्रंथ साहिब और उससे जुड़ी अन्य ऐतिहासिक चीजों को शामिल किया गया, जिसको देखने के लिए और माथा टेकने के लिए लोगों का हुजूम लगा रहा. इस दौरान ईटीवी से बात करते हुए सिख समुदाय के लोगों ने कहा कि गुरु नानक देव साहब सर्वधर्म समभाव की शिक्षा देते हैं. उन्होंने अपनी शिक्षाओं को किसी विशेष धर्म या जाति के लिए नहीं बांधा. गुरु नानक देव जी ने 'अव्वल अल्लाह नूर उपाया कुदरत के सब बंदे, एक नूर ते सब जग उपजा कौन भले कौन मंदे' का संदेश दिया था. सिख धर्म के लोगों ने कहा कि हमे इसी भावना के साथ आगे बढ़ना चाहिए. गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव पर्व को आगामी 12 नवंबर को हम सभी धर्म के लोग एक साथ मिलकर मनाएंगे.