बलिया: परिषदीय स्कूलों का नाम आते ही फर्श पर बैठे बच्चों की तस्वीर लोगों के सामने आ जाती है, लेकिन बदलते वक्त में यूपी सरकार प्राथमिक शिक्षा को भी नए रूप में ढालने का काम शुरू कर दिया है. कम संसाधनों में उत्कृष्ट शैक्षिक परिवेश बनाने के कारण जिले के 3 स्कूलों का चयन यूपी के टॉप 100 परिषदीय स्कूलों में हुआ है. प्राथमिक विद्यालय शिवपुर इन स्कूलों में से एक है, जहां उत्तम शिक्षा व्यवस्था के साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास का भी ध्यान रखा जाता है.
यूपी के टॉप 100 परिषदीय स्कूलों में बलिया का प्राथमिक स्कूल. 1 फरवरी को किया जाएगा सम्मानित
बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश की उच्च स्तरीय कमेटी ने पीपीटी और साक्षात्कार के बाद उत्तर प्रदेश के 100 उत्कृष्ट विद्यालयों का चयन किया है. इन विद्यालयों को उत्तर प्रदेश राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद में 1 फरवरी को सम्मानित किया जाएगा.
कॉन्वेंट स्कूलों की तरह बच्चों को दी जाती हैं सुविधाएं
जिले के बेरुआरबारी शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय शिवपुर में 589 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं. इन बच्चों को 7 अध्यापक शिक्षित करते हैं. स्कूल में ब्लैक बोर्ड की जगह पर व्हाइट बोर्ड और चॉक की जगह ब्लैक मार्कर का प्रयोग होता है.
इस स्कूल में बच्चों को कॉन्वेंट स्कूलों की तरह आई कार्ड भी दिया गया है. शिक्षण को सरल और सुगम बनाने के लिए स्कूल की दीवारों को शिक्षण सहायक सामग्री के तौर पर प्रयोग किया जा रहा है. इससे बच्चे किताबों के बिना भी शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं.
बच्चे करते हैं आसानी से पढ़ाई
स्कूल में पौधरोपण के तहत विद्यालय को हरा-भरा भी किया गया है. ताकि बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बनी रहे. कक्षा चार की छात्रा शिक्षा राजभर ने बताया कि स्कूल में अध्यापक अच्छी तरीके से उन्हें पढ़ाते हैं जिस वजह से उन्हें सभी चीजें आसानी से समझ आती हैं .
जानिए क्या कहा प्रधानाध्यापक ने
प्राथमिक विद्यालय के प्रधान अध्यापक चंद्रकांत पाठक ने कहा कि जिले के 2015 प्राथमिक विद्यालय और 626 जूनियर स्कूलों में तीन श्रेष्ठ स्कूलों का चयन हुआ है, इनमें यह विद्यालय भी है. विद्यालय के भौतिक वातावरण, छात्रों की संख्या और शिक्षा में नवाचार का प्रयोग विद्यालय को अन्य परिषदीय स्कूलों से अलग बनाता है. यही कारण है कि यूपी के 100 श्रेष्ठ स्कूलों में इस विद्यालय का चयन हुआ है. उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद के मानक के अनुसार, अध्यापकों की संख्या अभी कम है. बावजूद इसके उच्च शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने में हम लोग कोई कसर नहीं छोड़ते.
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