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बलिया : तहसील प्रांगण में ग्रामीणों का प्रदर्शन

यूपी के बलिया जनपद के विकासखंड नगरा के ग्राम सभा सिकंदरपुर के लोगों ने अपनी मांगों को लेकर तहसील प्रांगण में जमकर प्रदर्शन किया. ग्रामीणों की मांग है कि उनके यहां सरकारी सस्ते की गल्ले की दुकान का चुनाव निष्पक्ष कराया जाए.

तहसील प्रांगण में ग्रामीणों का प्रदर्शन.
तहसील प्रांगण में ग्रामीणों का प्रदर्शन.

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Published : Oct 10, 2020, 10:56 AM IST

बलिया : जनपद के विकासखंड नगरा के ग्राम सभा सिकंदरपुर के लोगों ने अपनी मांगों को लेकर तहसील प्रांगण में जमकर प्रदर्शन किया. ग्रामीणों की मांग है कि उनके यहां सरकारी सस्ते की गल्ले की दुकान का चुनाव निष्पक्ष कराया जाए.

दरअसल, बलिया जनपद के विकास खंड नगरा के ग्राम सभा सिकंदरापुर के ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान पर धांधली का आरोप लगाया है. ग्रामीणों का कहना था कि उनके गांव के कोटे की दुकान पर लोगों को कभी भी मानक के अनुसार राशन नहीं दिया जाता था. जिसकी बार-बार शिकायत करके गांव के लोगों ने कोटे की दुकान को निरस्त करा दिया. लेकिन अब ग्रामाीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान एवं ग्राम विकास अधिकारी के द्वारा उनके गांव के ग्रामीणों के साथ सोतेलेपन का व्यवहार किया जा रहा है.

ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान एवं ग्राम विकास अधिकारी पर आरोप लगाते हुए बताया कि जब दुकान निरस्त कराई गई तो यह उम्मीद की जाती थी कि अब गांव के लोग अपने मत का प्रयोग करके उसके अनुसार सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान का करेंगे. लेकिन मिलीभगत के बल पर अब ग्राम प्रधान सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान को भी अपने पास ले लेना चाहते हैं. ग्रामीणों का कहना था कि उन लोगों ने इसकी शिकायत जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, उप जिला अधिकारी तथा खंड विकास अधिकारी से कई बार किया. लेकिन फिर भी किसी भी अधिकारी के द्वारा उन लोगों को संतोषजनक उत्तर नहीं दिया. जिससे आक्रोशित होकर वो लोग ग्राम प्रधान एवं ग्राम विकास अधिकारी के खिलाफ तहसील प्रांगण में नारेबाजी कर रहे हैं. प्रदर्शन कर रहे लोगों की यह मांग है कि उनके गांव में सरकारी सस्ते गल्ले का चुनाव कराया जाए. ताकि गांव के लोग अपने मत अधिकार का प्रयोग कर अपनी स्वेच्छा से दुकान का चयन कर सकें.

दूसरी तरफ इस मामले में जब ईटीवी भारत के द्वारा ग्राम प्रधान से जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की गई तो ग्राम प्रधान ने कुछ भी कहने से साफ मना कर दिया. अब देखने वाली बात होगी कि ग्रामीणों की मांग पर जिले के अधिकारी कितनी सक्रियता दिखाते हैं.

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