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बलिया लॉकडाउन: 50 फीसदी घटी पराग दूध की डिमांड, ग्रामीण क्षेत्रों से सप्लाई हुई दोगुनी - पराग दूध की सप्लाई पर लॉकडाउन का असर

यूपी के बलिया जिले में लॉकडाउन का असर देखने को मिला. पराग दूध की डिमांग घटकर 50 फीसदी रह गई है. आम लोगों तक दूध नहीं पहुंच पा रहा है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों से दूध की सप्लाई दोगुनी हो गई है, जिसकी वजह से इसको स्टोर कर पाना बड़ी समस्या बन गई है.

parag milk demand reduced in ballia
बलिया जिले में पराग दूध की सप्लाई पर दिखा लॉकडाउन का असर.

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Published : Apr 1, 2020, 11:23 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

बलिया:जनपद में लॉकडाउन के कारण पराग दूध की डिमांड आधी रह गई है. आवश्यक वस्तुओं में शामिल होने के बावजूद यह आम लोगों तक नहीं पहुंच रहा है. वहीं पराग दुग्ध संघ के पास ग्रामीण अंचलों से भारी मात्रा में दूध की आ रहा है. ऐसी स्थिति में दूध को स्टोर कर पाना भी इनके लिए बड़ी समस्या बन गई है.

आधी रह गई पराग दूध की डिमांड
कोरोना वायरस के कारण भारत में 21 दिन के लॉकडाउन की वजह से इसका व्यापक असर आम जनमानस पर पड़ रहा है. सब्जी, फल के साथ दूध भी आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में है जिसकी प्रत्येक परिवार में आवश्यकता है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से जिला प्रशासन ने सुबह 7 से 10 बजे तक ही इन चीजों की बिक्री का समय निर्धारित किया है. इसके साथ ही दूध के पैकेट डिस्ट्रीब्यूटर भी इस दौरान नहीं ले रहे हैं, जिस कारण पराग दूध की आजमगढ़ मंडल की दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ की बलिया शाखा की खपत आधी रह रही है.

लॉकडाउन का दिखा असर
लॉकडाउन से पहले प्रतिदिन 1800 से 2000 लीटर दूध की सप्लाई बलिया जनपद में होती थी, लेकिन लॉकडाउन के बाद दुकानें बंद हो गईं और दूध के ग्राहक आधे हो गए. इसके साथ ही ग्रामीण इलाकों की सभी डेरियां बंद होने से किसान अपने दूध को पराग दुग्ध संघ को ही सप्लाई करने लगे. जिस कारण यहां पर प्रतिदिन आठ से 10 हजार लीटर दूध आने लगा है.

आधी रह गई सप्लाई
पराग दुग्ध उत्पादन सहकारी संघ के प्रबंधक डॉ. सुरेश सिंह ने बताया, कि लॉकडाउन का व्यापक प्रभाव पड़ा है. लॉकडाउन से पहले 5500 लीटर दूध प्रतिदिन आता था, जिनमें से 2000 लीटर बलिया जनपद में सप्लाई कर शेष वाराणसी भेज दिया जाता था, लेकिन अब लॉकडाउन की वजह से सप्लाई आधी रह गई और ग्रामीण इलाकों के डेयरी बंद होने से किसान अपना दूध उनके पास भेजने लगे हैं.

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उन्होंने बताया कि उनके प्लांट की क्षमता भी बहुत ज्यादा नहीं है, इसलिए दूध को स्टोर कर पाना भी संभव नहीं है. इसलिए कभी-कभी इसे ब्रेकडाउन भी करना होता है. इसके अलावा एक टैंकर होने के कारण हम शेष बचे दूध को वाराणसी और मऊ दोनों जगह एक साथ नहीं भेज सकते.

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

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