बलिया: देश में लगे लॉकडाउन से हर व्यवसाय प्रभावित हुआ है. बलिया में हरी सब्जी की खेती करने वाले किसान भी इससे अछूते नहीं रहे हैं. जिले में गंगा नदी के किनारे महावीर घाट पर कई किसान हरी सब्जियों की खेती करते हैं. लॉकडाउन के दिनों में तोरई, लौकी और करेले की खूब पैदावार हुई, लेकिन लॉकडाउन में ये बाजारों में बिक नहीं सकीं. जिससे किसानों को मुनाफा तो दूर उनकी लागत तक नहीं निकल पाई. किसानों के लिए साहूकार से लिया गया ब्याज का रुपया भी सर पर बोझ बनता जा रहा है. इनके लिए आने वाला समय कठिनाइयों भरा हो चला है.
5 से 10 रुपये किलो तक बिकी तोरई
हरी सब्जियां खेतों से बाजार तक नहीं पहुंची. इस कारण 30 रुपये किलो बिकने वाली तोरई महज 5 से 10 रुपये प्रति किलो बिकी. लौकी की फसल से भी किसानों को सही दाम नहीं मिला. महावीर घाट में 4 बीघा जमीन किराए पर लेकर तोरई और लौकी की खेती करने वाले मुसाफिर साहनी ने बताया कि उनकी पूंजी खेती में फंस गई. किसान सब्जियां बाजार में लेकर पहुंचे तो पुलिस प्रशासन ने बेचने की अनुमति नहीं दी. किसान ठेले पर सब्जियां लेकर इधर-उधर भटकते रहे और फिर आखिरी में उन सब्जियों को औने-पौने दामों में बेचना पड़ा. बाकी सब्जियां खेतों में सूख गईं, जिन्हें गाय और मवेशियों को खिलाना पड़ा.
लागत का पैसा भी नहीं निकला