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बलिया: आरटीई के तहत हुआ स्कूल में दाखिला, सरकार से नहीं मिला किताब खरीदने के रुपये - बलिया कान्वेंट स्कूल

राइट टू एजुकेशन 2009 के तहत उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में करीब 5000 गरीब छात्र-छात्राओं का दाखिला कॉन्वेंट स्कूल में हुआ है. स्कूल की पूरी फीस स्कूल प्रशासन को वहन करनी होती है. वहीं किताब कॉपी के लिए सरकार से मिल रही 5000 रुपये प्रति वर्ष अब तक अभिभावकों को प्राप्त नहीं हुआ है.

सरकार से नहीं मिली सहायता.
सरकार से नहीं मिली सहायता.

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Published : Jun 23, 2020, 3:43 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

बलिया:जिले में शिक्षा का अधिकार के अंतर्गत करीब 5000 गरीब बच्चों का दाखिला कॉन्वेंट स्कूलों में हुआ, लेकिन सरकार की ओर से मिलने वाला प्रति वर्ष 5000 रुपये न मिलने से अभिभावक परेशान हैं. अभिभावकों ने कलेक्ट्रेट में पहुंचकर अधिकारी को ज्ञापन सौंपा.

राइट टू एजुकेशन 2009 के अंतर्गत जिले में करीब 5000 गरीब छात्र-छात्राओं का दाखिला कॉन्वेंट स्कूल में हुआ है. स्कूल की पूरी फीस स्कूल प्रशासन को वहन करनी होती है, जबकि अभिभावक को सिर्फ कॉपी किताब और ड्रेस खरीदना होता है. सरकार की ओर से कॉपी किताब और ड्रेस खरीदने के लिए 5000 की धनराशि प्रति वर्ष अभिभावक के बैंक खाते में हस्तांतरित की जाती है, लेकिन वित्तीय वर्ष 2019- 20 बीत जाने के बावजूद अभी तक धनराशि अभिभावकों को प्राप्त नहीं हुई.

इस धनराशि के अभाव में बच्चों की शिक्षण व्यवस्था पर असर हो रहा है. बलिया के कलेक्ट्रेट में अभिभावकों ने आरटीआई कार्यकर्ता के साथ पहुंचकर अपनी बात प्रशासनिक अधिकारियों के सामने रखी. अभिभावक मीना देवी ने बताया कि हमारे बच्चे इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ते हैं, जहां पर हम से कोई भी फीस नहीं लिया जाता, लेकिन कॉपी किताब और ड्रेस के लिए प्रतिवर्ष सरकार से मिलने वाला 5000 अब तक प्राप्त नहीं हुआ है. ऐसे में स्कूल की ओर से नए सत्र की किताब खरीदने का दबाव बनाया जा रहा है.

लॉकडाउन के कारण स्कूल-कॉलेज सभी बंद हैं. ऐसे में शिक्षण सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था की गई है. साधारणत: बच्चे अपने घर से ही यूट्यूब और विभिन्न ऐप के माध्यम से स्कूल से जुड़ कर पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन राइट टू एजुकेशन एक्ट के अंतर्गत जिन बच्चों का दाखिला स्कूल में हुआ है, उनके पास नए सत्र के किताब उपलब्ध नहीं होने से उनकी पढ़ाई नहीं हो रही है. अभिभावकों का कहना है कि स्कूल की ओर से रजिस्ट्रेशन और कॉपी किताब खरीदने का लगातार दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन पैसे नहीं होने की वजह से किताब नहीं खरीदा गया.

आरटीआई कार्यकर्ता और अधिवक्ता मनोज राय ने बताया कि सरकार की ओर से 5000 प्रति वर्ष अभिभावकों के खाते में भेजा जाता था, लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष का रपये अभी तक खाते में नहीं पहुंचा है.

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

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