बलियाः ये मामला शासन से सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति से लेकर एरियर तक जुड़ा है. इस मामले में कई जांच एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट राज्य शासन को पेश की थी. इसमें वर्ष 2011 से 2015 तक करीब 1 अरब 90 लाख रुपए के एरियर भुगतान का मामला भी जुड़ा है. इतनी बड़ी राशि के मामले पर राज्य सरकार ने अब जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी है.
ईओडब्ल्यू ने की शिक्षक नियुक्ति घोटाले की जांच शुरू. ईओडब्ल्यू की टीम ने अपनी जांच का दायरा तय कर लिया है. टीम ने इस मामले से जुड़े 104 लोगों की लिस्ट तैयार की है. इनसे पूछताछ शुरू भी कर दी. इसके साथ ही डीआईओएस कार्यालय से उनके जुड़े दस्तावेज भी खंगाल रही है. ईओडब्ल्यू टीम की कार्रवाई से विभाग में अफरातफरी का माहौल है.
इस मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक भास्कर मिश्रा ने बताया कि जिनका वेतन सरप्लस के कारण रुका हुआ था. उन्हें बाद में दिया गया. ऐसे कुल 22 लोग हैं. इसके साथ ही 82 लोगों का एरियर्स देना है. इन दोनों के वेतन और एरियर संबंधी प्रपत्र की जांच होगी.
वहीं बलिया जिले के उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष धर्मनाथ सिंह ने बार-बार शिक्षकों के एरियर जांच को लेकर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि हम लोगों को 5 साल का वेतन पाना है. इसलिए जब-जब जांच के लिए बुलाया जाता है, हम लोग यहां आते हैं. 5 सालों के एरियर का भुगतान पाने के लिए लगातार जांच प्रक्रिया चल रही है. इस दौरान कई शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
जानें कब-कब क्या हुआ
- सन् 2010-11 में उत्तर प्रदेश सरकार से सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षक और कर्मचारियों के नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई थी.
- उच्च न्यायालय के आदेश पर इस मामले की जांच शुरू की गई.
- जांच प्रक्रिया के बाद फरवरी 2016 में इन विद्यालयों में नीति निर्धारित करके वेतन भुगतान किया गया.
- इस बीच सरप्लस शिक्षकों एवं कर्मचारियों की छंटनी भी की गई और कोर्ट के आदेश पर 22 शिक्षकों को उनका एरियर दिया गया.
- इसी को आधार बनाकर अन्य शिक्षकों ने शासन से अपने एरियर भुगतान की मांग की है.
- 2011 से फरवरी 2016 तक करीब 5 साल के एरियर की मांग होने पर शासन ने इस पूरे प्रकरण को ईओडब्लू को सौंप दिया.
- ईओडब्ल्यू की 5 सदस्य टीम जिले के 22 विद्यालयों के 104 शिक्षक और कर्मचारियों के प्रपत्र की जांच कर रहे हैं.