बलियाः जहां प्रदेश सरकार गोहत्या रोकने के लिए जगह-जगह पर पशु आश्रय केंद्र खोल रही है, वहीं बलिया जनपद के रसड़ा नगर पालिका स्थित गोशाला की स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है. कभी भूख प्यास से तो कभी रोग से यहां पर प्रतिदिन पशुओं की स्थिति दयनीय बनती जा रही है. पशुओं की पैरों, कानों में कीड़े पड़ गए हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का कोई कर्मचारी मौके पर देखने तक नहीं आते. रसड़ा पशु आश्रय में पशु दवा और इलाज के लिए तड़प तड़प कर मर रहे हैं, जबकि जिम्मेदार मौन हैं. पशु चिकित्सा अधिकारी के अनुसार लगातार गोशालाओं में पशुओं का इलाज किया जा रहा है, लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है.
गोशाला में बिना इलाज के मर रहे पशु, जिम्मेदार मौन
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में स्थित एक गोशाला के पशु इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं. ग्रामीणों की ओर से सूचित करने पर भी स्वास्थ्य विभाग गोशाला में बीमार पशुओं की सुध नहीं ले रहा है.
पशुओं की नहीं हो रही देखरेख
स्थानीय लोगों के अनुसार गो आश्रय में पशुओं को बंद करने से अच्छा उन्हें खुले में छोड़ देना ही बेहतर था. भले हम लोगों की फसलों को नुकसान होता था. लेकिन कम से कम पशु इस तरह से तड़प-तड़प के मरने के लिए विवश नहीं होते. स्थानीय लोगों ने बताया कि गोशाला में पशुओं को खाने के लिए चारा-पानी रखरखाव के लिए कर्मचारियों की व्यवस्था की गई है. कर्मचारियों को नियमित रूप से सरकार के द्वारा वेतन भी दिया जा रहा है. लेकिन पशुओं की बदहाली देखकर यह साफ जाहिर हो रहा है कि पशुओं के आए हुए चारे के पैसे का जमकर बंदरबांट किया जा रहा है. इस संबंध में कर्मचारियों से जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की गई तो उन्होंने बताया कि डॉक्टर साहब कभी-कभी यहां पर आया करते हैं.
दो पशुओं का किया जा रहा इलाज
वहीं पशु चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि गोशाला में कुल 47 पशु हैं, जिनमें दो पशु बीमार हैं और उनका इलाज किया जा रहा है. जबकि हकीकत में गोशाला में 5 से 7 पशु बीमार हैं. इन पशुओं के पैरों, कानों में कीड़े पड़ गए हैं, जिससे वे उठ भी नहीं सकते.