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बहराइच: बाघ और तेंदुओं के बढ़ते हमलों से ग्रामीण भयभीत, अब तक 3 की मौत

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में कतर्नियाघाट संरक्षित वन्य जीव प्रभाग से सटे ग्रामीण इलाकों में बाघ और तेंदुओं के हमलों से ग्रामीण भयभीत हैं. बीते तीन महीने में वन विभाग के वॉचर समेत तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 16 लोग घायल हो चुके हैं.

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Published : Jun 21, 2020, 1:12 AM IST

वन्यजीवों के बढ़ते हमलों से ग्रामीण भयभीत
वन्यजीवों के बढ़ते हमलों से ग्रामीण भयभीत

बहराइच: जिले के कतर्नियाघाट संरक्षित वन्य जीव प्रभाग से सटे ग्रामीण इलाकों में तेंदुए के हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. बीते दो दिनों में तेंदुए के हमले में दो ग्रामीण घायल हुए हैं. बीते करीब 3 माह में वन विभाग के वॉचर सहित तीन लोगों की मौत भी हो चुकी है, जबकि करीब 16 लोग घायल हुए हैं. वन्यजीवों के बढ़ते हमलों से ग्रामीण भयभीत हैं.

बहराइच के कतर्नियाघाट संरक्षित वन जीव प्रभाग से सटे इलाकों में तेंदुए और बाघों के हमले लगातार जारी है. कोतवाली मूर्तियां क्षेत्र के ग्राम सेमरी घटाई के गिरधर पुरवा निवासी इतवारी लाल अशर्फी लाल पर तेंदुए ने हमला किया है. वह रात के लगभग 9:00 बजे अपने घर जा रहे थे. रास्ते में 26 नंबर पुल के पास तेंदुए ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया. चीख-पुकार सुनने पर लोगों के शोर मचाने पर तेंदुआ उन्हें छोड़कर भाग गया.

दूसरा हमला सुजौली रेंज के गोडियन पुरवा निवासी गोवर्धन चौहान पुत्र केशव चौहान पर उस समय हुआ, जब वह सुबह शौच के लिए खेत की ओर जा रहा था. हालांकि दोनों घायलों की हालत खतरे से बाहर है. बाघ और तेंदुए के बढ़ते हमलों से ग्रामीण भयभीत हैं. बीते करीब तीन माह में 7 वर्षीय बच्ची से लेकर वन विभाग के वॉचर सहित तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि करीब 16 लोग घायल हुए हैं. वन विभाग आबादी की ओर पलायन करने वाले तेंदुओं को पिंजड़े में कैद कर घने जंगलों में छोड़ने के अभियान में लगा हुआ है.

डीएफओ जीपी सिंह का कहना है कि तेंदुए छोटे जानवरों के शिकार की तलाश में गांवों की ओर पहुंच जाते हैं. हालांकि गांव की ओर पलायन करने की सूचना पर पिंजरे लगाकर उन्हें पकड़कर घने जंगलों में छोड़ा जा रहा है. उन्होंने बताया कि अनेकों तेंदुओं को घने जंगलों में छोड़ा जा चुका है. जंगल के आसपास के इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों को वन विभाग द्वारा जागरूक करने का अभियान चलाया जा रह है. उन्हें सावधान रहने और समूह में चलने की सलाह दी जाती है. उन्होंने ग्रामीणों से अपील की है कि वह जंगल के आसपास के इलाकों में विशेष सावधानी बरतें और समूह में निकले.

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