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बहराइच: प्रवासी श्रमिकों और किसानों को रोजगार उपलब्ध कराने की कवायद तेज - scientist mp singh

यूपी के बहराइच में गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत प्रवासी श्रमिकों और किसानों को रोजगार उपलब्ध कराने की कवायद तेज कर दी गई है. वर्मी कंपोस्ट और वर्मी वाश के उत्पादन के लिए प्रवासी श्रमिकों और किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है.

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प्रशिक्षण कार्यक्रम.

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Published : Jul 22, 2020, 6:47 PM IST

बहराइच: जनपद में गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत प्रवासी श्रमिकों और किसानों को रोजगार उपलब्ध कराने की कवायद तेज कर दी गई है. वर्मी कंपोस्ट और वर्मी वाश के उत्पादन के लिए प्रवासी श्रमिकों और किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. जिले में वर्मी कम्पोस्ट और वर्मी वाश से प्रवासी श्रमिकों और किसानों को रोजगार मिलेगा. कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी एवं वैज्ञानिक डॉ. एमपी सिंह ने प्रवासी श्रमिक और किसान को बताया कि वर्मी कंपोस्ट और वर्मी वाश से रासायनिक खादों के कुप्रभाव से बचाव होगा.

गरीब कल्याण रोजगार अभियान के अन्तर्गत प्रवासी श्रमिकों को रोजगार सृजन के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के सभागार में 21 से 23 जुलाई 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. आयोजन में प्रवासी श्रमिकों को वर्मी कम्पोस्ट और वर्मी वाश उत्पादन तकनीक की जानकारी प्रदान की गई. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. एमपी सिंह ने प्रवासी श्रमिकों को केंचुआ खाद बनाने की तकनीकी जानकारी प्रदान की. डाॅ. सिंह ने बताया कि वर्मी कम्पोस्ट 30 से 45 दिनों में बनकर तैयार हो जाती है. डाॅ. सिंह ने बताया कि 5 वर्ग मीटर से एक टन वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन हो सकता है. उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति 25 वर्ग मीटर में वर्मी कंपोस्ट उत्पादन कर सात रुपये प्रति किलो की दर से बिक्री कर 35 हजार रुपये मासिक कमा सकता है. इसके अलावा केंचुआ बेचकर भी अतिरिक्त आय की जा सकती है. डाॅ. सिंह ने स्वरोजगार के लिए वर्मी कम्पोस्ट और वर्मी वाश उपयोगी बताते हुए किसानों और प्रवासियों को प्रेरित किया.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उप निदेशक कृषि डाॅ. आरके सिंह ने कहा कि जरूरतमंद श्रमिकों को विभागीय योजनाओं से आच्छादित किया जाएगा. कार्यक्रम के समन्वयक डाॅ. उमेश बाबू वैज्ञानिक पादप प्रजनन ने वर्मी कम्पोस्ट में जैव उर्वरक जैसे एजेटोवेकटर, राइजोबियम, पीएसबी आदि मिलाकर प्रयोग करने से रासायनिक उर्वरकों के हानिकारक प्रभाव को कम किए जाने के तरीकों पर प्रकाश डाला. वैज्ञानिक रेनू आर्य ने जैविक खाद का पोषण वाटिका में महत्व एवं उसके लाभ के बारे में जानकारी प्रदान की. कार्यक्रम का संचालन करते हुए डाॅ. आरके पाण्डेय ने मौजूद लोगों को वर्मी कम्पोस्ट के साथ कीट एवं बीमारियों के प्रबंधन के संबंध में विस्तृत जानकारी दी. प्रशिक्षण कार्यक्रम में 35 प्रवासी कृषक प्रतिभाग कर रहे हैं.

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