बहराइच: एक ओर जहां सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए विभिन्न तरह की अनुदान योजनाएं चलाकर उन्हें लाभान्वित करने के प्रयास में हैं. वहीं उनके अनुदान पर सरकारी अमला डाका डालने पर आमादा है. मामला श्रावस्ती जनपद का है, जहां कृषि विभाग की ओर से किसानों को मिलने वाले बीज खरीद अनुदान में बड़े पैमाने पर घोटाला उजागर हुआ है. मामले में कार्रवाई करते हुए आरोपी लिपिक को निलंबित कर दिया गया है और जांच के निर्देश दिए गए हैं.
सामने आया कृषि विभाग का घोटाला. बीज खरीद अनुदान घोटाले का जिम्मेदार कौन
किसान यूनियन घोटाले के लिए शिकायत प्रणाली को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उनका कहना है कि अगर किसानों की शिकायत पर समय से ध्यान दिया जाता तो शायद इतना बड़ा घोटाला न होता. श्रावस्ती जिले में कृषि विभाग में अफसरों और कर्मचारियों की मिलीभगत से लाखों के बीज अनुदान घोटाले का मामला सामने आया है. उप कृषि निदेशक कार्यालय में तैनात वरिष्ठ सहायक लिपिक पर किसानों के बीच अनुदान कि धनराशि को गबन किए जाने का आरोप है, जिसे कार्रवाई करते हुए निलंबित कर दिया गया है.
जांच के लिए टीम गठित
मामले की जांच के लिए टीम गठित कर दी गई है. सूत्रों के मुताबिक करीब पच्चीस लाख के गबन की बात सामने आई है. जांच रिपोर्ट के बाद ही घोटाले की राशि का पता चल सकेगा. किसान यूनियन किसानों को मिलने वाले बीज खरीद अनुदान के घोटाले में तत्कालीन उप निदेशक कृषि की संलिप्तता बता रहे हैं. किसान यूनियन के देवीपाटन मंडल अध्यक्ष विनोद कुमार शुक्ला का आरोप है कि यह घोटाला शिकायत प्रणाली में खामियों के चलते हुआ है.
समय रहते दिया जाता ध्यान तो नहीं होता घोटाला
किसान यूनियन के देवीपाटन मंडल अध्यक्ष का कहना है कि अगर समय रहते किसानों की ओर से अनुदान न मिलने की शिकायत का संज्ञान लिया जाता तो शायद इतना बड़ा घोटाला न होता. वह इस घोटाले में तत्कालिक उप निदेशक कृषि के संलिप्त होने का आरोप लगा रहे हैं. हालांकि उप निदेशक कृषि आरपी राणा का कहना है कि इस प्रकरण की प्राथमिक जांच में पटल लिपिक दोषी पाया गया, जिसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.
मामले की जांच के लिए टीम का गठन कर दिया गया है. जांच रिपोर्ट के आधार पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी. साथी ही उन्होंने कहा कि जांच के बाद स्पष्ट होगा कि घोटाला कितने लाख का है और उसके लिए कौन-कौन जिम्मेदार है.