बहराइच:दुधवा टाइगर रिजर्व अन्तर्गत कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग में विश्व प्रकृति निधि भारत (डब्लूडब्लूएफ) के सहयोग से ईको विकास समितियों के प्रतिनिधियों एवं वन कर्मियों की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में कतर्नियाघाट रेंज, सुजौली रेंज, निशान गाड़ा रेंज, मुर्तिहा रेंज एवं धर्मापुर रेंज की 30 ईको विकास समितियों के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया. कार्यशाला में मुख्य अतिथि प्रभागीय वनाधिकारी यशवंत रहे.
कार्यशाला का संचालन करते हुए डब्लूडब्लूएफ के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी दबीर हसन ने ईको विकास समितियों के गठन की परिकल्पना और उसके निर्जीव होने के कारणों एवं भविष्य में ईको विकास की संभावनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला. जबकि डब्लूडब्लूएफ के समुदाय कार्यों के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी चंदन मिश्रा ने इको विकास कार्यों के स्वरूप पुनर्जीवित किये जाने वाले कार्यविधि के बारे में विस्तार से बताया. कार्यशाला को ए.सी.एफ. (प्रशिक्षु) ज्ञान सिंह मानव वन्य जीव संघर्ष रोकने के लिए अपने अध्ययन एवं शोध कार्यों से अवगत कराया कि कैसे इस संघर्ष को कम किया जाए. कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ सर्वेश राय ने मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए इको विकास समितियों की भूमिका पर प्रकाश डाला.
बहराइच में वन कर्मियों का एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न - डब्लूडब्लूएफ
दुधवा टाईगर रिजर्व अन्तर्गत कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग में विश्व प्रकृति निधि भारत (डब्लूडब्लूएफ) के सहयोग से ईको विकास समितियों के प्रतिनिधियों एवं वन कर्मियों की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया.
मुख्य अतिथि डीएफओ यशवंत ने गांवों के विकास की परिकल्पना में ईको विकास समितियों के रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने, जलौनी ईंधन के वैकल्पिक साधन एवं मानव वन्य जीव संघर्ष न्यूनीकरण योजना तथा ईको पर्यटन में ग्रामीणों को जोड़ने वाले प्लान तथा वन मित्र और बाघ मित्र के सहयोग एवं समुदाय आधारित पर्यावरण संरक्षण पर जानकारी प्रदान करते हुए महिलाओं के उत्थान तथा उनके सहयोग के लिए प्रेरित किया. यशवंत द्वारा विभिन्न इको विकास समितियों में अग्रिम कार्यवाही के लिए बैठकों का तिथि निर्धारण किया गया.