बहराइच: जिले में महिला सुरक्षा एवं बाल संरक्षण को लेकर पुलिस अधीक्षक डॉ विपिन कुमार मिश्रा ने नई पहल शुरू की है. इस तरह की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए उन्होंने महिला आरक्षियों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है. इसके लिए कार्यशाला का आयोजन कर उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है.
महिला आरक्षी गांव-गांव जाकर महिलाओं से करेंगी संपर्क
महिला सुरक्षा और बाल संरक्षण के मामले में शुरू की गई नई पहल के तहत पुलिस अधीक्षक ने इस संबंध में महिला आरक्षियों की एक कार्यशाला आयोजित की. इसमें उन्हें महिला सुरक्षा और बाल संरक्षण के संबंध में प्रशिक्षित किया. पुलिस अधीक्षक डॉ. विपिन कुमार मिश्रा ने प्रदेश में हो रही महिला और बाल अपराध की घटनाओं के दृष्टिगत महिला आरक्षियों को निर्देश दिए कि वे आवंटित गांवों में जनसंपर्क बढ़ाएं. साथ ही तय कार्यक्षेत्र में आने वाले गांव के चौकीदार, ग्राम पंचायत सचिव, आशा बहू, एएनएम, डिजिटल वॉलिंटियर, स्वास्थ्य विभाग एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से संवाद बनाते हुए गांव में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार एवं हिंसा के मामलों की जानकारी करें और उसकी सूचना थाने में दर्ज करवाकर प्रभावी निरोधात्मक कार्रवाई संपन्न कराएं.
महिलाओं को गरिमामय जीवन का हक
पुलिस अधीक्षक ने महिला आरक्षियों को संबोधित करते हुए कहा कि आर्थिक व शैक्षिक रूप से आत्मनिर्भर महिला ही पुरुष प्रधान समाज से मुकाबला कर सकती है. उन्होंने कहा कि महिलाओं व बच्चों के प्रति बढ़ते अपराध को रोकने के लिए प्रथम चरण में महिला और पीड़ित बालक की पहचान कर बीट पुस्तिका में उसका अंकन करें. इसके अलावा मुकदमों और निरोधात्मक कार्रवाई का विवरण भी बीट पुस्तिका में अंकित किया जाए. द्वितीय चरण में आर्थिक और शैक्षिक सशक्तिकरण का अभियान बच्चों/महिलाओं के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं. विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उनकी पात्रता के हिसाब से दिलाया जाए, ताकि सामाजिक व्यवस्था में बच्चों और महिलाओं का स्थान निश्चित हो सके और उन्हें गरिमापूर्ण जीवन प्राप्त हो सके.
महिला आरक्षियों को बताई कई तकनीक
पुलिस अधीक्षक डॉ विपिन कुमार मिश्रा ने कहा कि महिला एवं बाल संबंधी अपराधों के अपराधी जमानत प्राप्त करने के बाद जब जेल से छूटते हैं, तब वे अपना-अपना केस समाप्त करने के लिए पीड़िता एवं उसके परिजनों को तरह-तरह के प्रलोभन एवं धमकियों से प्रभावित करते हैं. इस प्रकरण की जानकारी पीड़ित परिवार के सदस्यों एवं पीड़िता से संपर्क कर प्रभावी विधिक कार्यवाही थानाध्यक्ष के माध्यम से सुनिश्चित कराएं. उन्होंने पीड़ित परिवार से लगातार संपर्क रखने के निर्देश दिए. जिससे कि पीड़ित परिवार को किसी भी प्रकार से आरोपी के उत्पीड़न अथवा दमन का शिकार न होना पड़े.