बहराइच: जिले के वन्य ग्राम टेड़िया में कोरोना महामारी को लेकर बैठक आयोजित की गई. इसकी अध्यक्षता केशव सिंह ने की. वहीं वन्य ग्राम ढकिया की बैठक की अध्यक्षता लक्ष्मी प्रसाद ने की. बैठक में कोरोना वायरस के लक्षण, उपचार और बचाव के मुद्दे पर व्यापक चर्चा हुई. लोगों को सैनिटाइजर और साबुन से हाथ धोने के तरीके बताए गए.
इस बैठक में सामाजिक दूरी बनाए रखने के मुद्दे पर भी लोगों के साथ बातचीत हुई. इस दौरान दोनों वन्य ग्रामों की समिति ने यह प्रस्ताव पारित किया कि पैमाइश आदि का कोई भी कार्य ग्राम स्तरीय, उपखंड स्तरीय एवं जिला स्तरीय वन अधिकार समिति को सूचित किए बगैर किसी भी मामले में वन और पुलिस विभाग हस्तक्षेप न करें.
उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से जीवन यापन कर रहे वन्य निवासियों के बीच अशांति पैदा करने की कोशिश न करें. सभी हितग्राहियों को वन अधिकार कानून के प्रावधानों का सही तरीके से पालन करना ही होगा, क्योंकि यह कानून भारत की संसद के दोनों सदनों के द्वारा वर्ष 2006 में निर्विवाद रूप से पारित हुआ था. राष्ट्रपति ने इस अधिनियम पर अपनी मुहर लगाई थी. इस अधिनियम का उद्देश्य अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासियों के भूमि संबंधी असुरक्षा को समाप्त करने और वन निवासियों के जंगल में पहुंच के अधिकार को सुनिश्चित करना था.
बैठक में मनरेगा के माध्यम से गांव की कच्ची सड़कों को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए सदस्यों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किए. सदस्यों ने प्रवासी मजदूरों के लिए गांव स्तर पर रोजगार दिलाए जाने के लिए प्रयास करने के लिए प्रस्ताव पारित किया, जिसमें यह विचार किया गया कि गांव स्तर पर मौजूद चीजों को उपयोग करने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाएगा. वन अधिकार समिति के सदस्यों ने वन निवासियों की एकता और मजबूत करने के लिए संकल्प लिया.