बहराइच: आधुनिकता की दौड़ में जादू-टोना और अदृश्य शक्तियों पर लोग विश्वास अभी भी करते हैं. इसका जीता जागता उदाहरण श्रावस्ती में बौद्ध तीर्थ स्थल का लोना का कुआं हैं. इसके इतिहास को लेकर लोगों का कहना है कि महर्षि धन्वंतरि के जीवन काल में लोना उनकी शिष्य थी. धन्वंतरि की मृत्यु के बाद उनकी शिष्या लोना ने उनकी अस्थियों के कुछ कणों को उबालकर पी लिया था. इससे महर्षि धन्वंतरी का असर लोना में भी आ गया था.
झाड़-फूंक करके बीमारियों को दूर करती थी लोना
श्रावस्ती के लोगों का कहना है कि झाड़-फूंक करके बीमारियों को लोना दूर करती थी, जिस अष्टकोण का इस्तेमाल लोना एक कुएं में करती थी सिद्धि का असर उस कुएं में भी आ गया था. लोना की मृत्यु के बाद लोग उस कुएं का इस्तेमाल असाध्य रोगों के उपचार के लिए करते हैं. यहीं नहीं इस अष्टकोणीय कुंआ तांत्रिकों की श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है.