बहराइच:पूरा देश आज 73वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहा है. स्वतंत्रता संग्राम में फिरंगी हुकूमत के छक्के छुड़ाने वाले जिले के रणबांकुरों के त्याग और बलिदान को याद कर पूरा देश जहां उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहा है. तो वहीं आजादी के दीवानों के वंशज बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं. उन्हें उम्मीद है कि पूर्वजों के बलिदान को याद कर सरकार उनकी बदहाली दूर करने के लिए कदम उठाएगी.
बहराइचः बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं आजादी के दीवानों के वंशज - बहराइच समाचार
उत्तर प्रदेश के बहराइच में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के वंशजों को सरकारी सुविधा के नाम पर खोखले वादे ही मिल रहे हैं. इस हकीकत को जानने के बाद तो ऐसा लगता है कि उनके बलिदान को सरकारें भूल ही गई है.
![बहराइचः बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं आजादी के दीवानों के वंशज](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-4139357-thumbnail-3x2-image.jpg)
सेनानियों के प्रशस्तिपत्र.
स्वतंत्रता सेनानियों के वंशज जी रहे बदहाल जिंदगी.
वंशजों को सरकारों से उम्मीद-
- नेपाल सीमावर्ती जनपद बहराइच के आजादी के दीवानों का योगदान किसी से कम नहीं है.
- ‘1857 की क्रांति’ हो या ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ आंदोलन, फिरंगी हुकूमत के खिलाफ सभी आंदोलनों में जिले के सैनिकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.
- वंशजों को उम्मीद थी कि आजाद भारत में उनका और परिवार का विकास होगा.
- हालात यह है कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के वंशज बदहाल जीवन जी रहे हैं.
- कोई घरों पर बर्तन मांजकर, ठेला लगाकर तो कोई मजदूरी कर परिवार का पेट पालने को मजबूर है.