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बहराइच: कड़ी मशक्कत के बाद उत्पाती लंगूर पिंजरे में हुआ कैद, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस

बहराइच के कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग स्थित गांव में आतंक का पर्याय बना लंगूर आखिरकार वन विभाग के पिंजरे में कैद हो गया. लंगूर के पकड़े जाने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली.

लंगूर को पिंजरे में कैद करने के बाद बातचीत करते अधिकारी.
लंगूर को पिंजरे में कैद करने के बाद बातचीत करते अधिकारी.

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Published : Oct 12, 2020, 9:58 AM IST

बहराइच: कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग स्थित मजरा आजमगढ़ पुरवा गांव में रविवार दोपहर एक आतंकी लंगूर घुस आया. ग्रामीणों के घर में घुसे लंगूर ने आतंक मचाना शुरू कर दिया. इससे क्षेत्र वासियों का काफी कुछ नुकसान हो गया. वहीं लंगूर ने आजमगढ़पुरवा गांव निवासी मुस्तकीम नाई की दुकान में घुसा और यहां भी जमकर उत्पात मचाया. लंगूर के आतंक को बढ़ता देख ग्रामीणों ने आनन-फानन में वन विभाग को सूचना दी. मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने लंगूर को पिंजरे में पकड़ लिया. इसके बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली.

वन विभाग की टीम ने किया रेस्क्यू

लंगूर के उत्पात मचाने की सूचना पर वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू शुरू कर दिया. वन विभाग की टीम में वन रक्षक आनंद, रामअशीष, प्रशिक्षु पीएफएस ज्ञान सिंह व पशु चिकित्सक डॉ. श्रवेश राज, वाहन चालक मिथिलेश कुमार आदि नाई की दुकान में पिंजरा लगाकर रेस्क्यू किया और कड़ी मशक्कत के बाद लंगूर को पिंजरे में कैद कर लिया.


वनरक्षक आनंद कुमार ने बताया कि एक लंगूर बंदर ने कई दिनों से आतंक मचा रखा था. इससे निशानगाडा रेंज के कई गांव के लोग भयभीत थे. रविवार को कारीकोट ग्राम पंचायत के मजरा आजमगढ़ पुरवा में लंगूर बंदर के उत्पात मचाने की सूचना पर वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर लंगूर को पिंजरे में कैद कर लिया. पकड़े गए लंगूर को वन विभाग की टीम ने निशानगाड़ा रेंज कार्यालय पर रखा है, जहां उसका स्वास्थ्य परीक्षण कर उच्चाधिकारियों के निर्देश पर आगे की कार्यवाई की जाएगी.


वहीं क्षेत्रीय ग्रामीणों का कहना है कि आए दिन जंगली जानवर क्षेत्र में उत्पात मचाया करते हैं. कभी हाथी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं और झोपड़ियां उजाड़ देते हैं, तो कभी लंगूर जैसे जानवर जीना हराम कर देते हैं. तेंदुआ और बाघ भी समय-समय पर दस्तक देते रहते हैं. वन्य क्षेत्रों के आसपास बसे गांवों के ग्रामीण वन्यजीवों के दहशत के साए में जीने को मजबूर हैं. लोगों का कहना है कि उनका और उनके परिवार का जीवन काफी असुरक्षित है. वन विभाग इस संबंध में कोई ठोस पहल नहीं कर रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए, जिससे वह अपना जीवन बिना किसी भय के गुजार सकें.

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