बहराइच: भले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ और कटान पीड़ितों की हरसंभव मदद करने के लिए फरमान जारी किए हों, लेकिन जिले में इसका असर नजर नहीं आ रहा है. घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ रहा है और इसका असर मिट्टी कटान के तौर पर देखने को मिल रहा है. घाघरा नदी के तट पर बसे महसी और कैसरगंज तहसील क्षेत्रों के 6 गांवों में इसका प्रभाव देखा जा रहा है.
36 से अधिक मकान और सैकड़ों बीघे फसल कटकर घाघरा की धारा में विलीन हो चुकी है. कटान पीड़ित बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई प्रबंध नहीं किए जा रहे हैं. पीड़ितों में इस कारण काफी नाराजगी है.
बाढ़ से पीड़ित लोगों की कहानी. नेपाल में बने बांध खोले जाने के कारण घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ गया है. जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती गांव में कटान बढ़ गई है. घाघरा नदी की कटान का बुरा असर महसी तहसील क्षेत्र के ग्राम पिपरी, टिकुरी, ठकुराइन पुरवा और कैसरगंज तहसील क्षेत्र के मंझारा, तौकली और ग्यारह सौ रेती गांव में देखने को मिल रहा है. कटान पीड़ितों का आरोप है कि घाघरा की कटान से बेघर हुए पीड़ितों को प्रशासन ने कोई सहायता उपलब्ध नहीं कराई है.
बाढ़ में लोग खो देते हैं घर-परिवार
घाघरा की विनाशकारी लहरों के हाथों अपनी गृहस्थी गवां चुके कटान पीड़ित खुले आसमान के नीचे जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं. उनका कहना है कि घर-गृहस्थी का सामान और खाने-पीने के सामान धारा में विलीन हो चुके हैं, जिसके चलते उनके समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. कुछ कटान पीड़ितों को राजस्व विभाग द्वारा मात्र पन्नी उपलब्ध कराई गई है, लेकिन शुद्ध पेयजल, भोजन, दवा, शौचालय आदि की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. इसके कारण कटान पीड़ित दुश्वार जिंदगी जीने को मजबूर हैं.
जानें, कटान का लोगों पर पड़ता है कैसा असर. लाखों की संख्या में लोग होते हैं प्रभावित
इस संबंध में ईटीवी भारत की टीम ने प्रशासन का पक्ष जानने का प्रयास किया, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी इस मामले पर कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे हैं. बाढ़ हर साल आपदा बन कर आती है और पांच महीने घाघरा नदी के तटवर्ती गांव के लोगों को सताती है. बड़ी तादाद में लोग घर-द्वार छोड़कर चले जाते हैं. गांव के करीब दो लाख से अधिक लोगों को बाढ़ से उत्पन्न होने वाली परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बौंडी क्षेत्र के करीब 36 गांव नक्शे से गायब हो चुके हैं. महसी तहसील के तकरीबन दस हजार से अधिक कटान पीड़ित पुनर्वास की बाट जो रहे हैं. बता दें कि घाघरा नदी से होने वाली कटान से 52,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल फसल प्रभावित हुई है, जिसमें 20,000 किसान तबाह हो चुके हैं. इस बाढ़ से 275 गांव हर साल प्रभावित होते हैं.