बहराइच: शिक्षा और गोसेवा क्षेत्र में दिए जाने वाले प्रतिष्ठित पुरस्कार स्वामी ब्रह्मानन्द पुरस्कार से जनपद निवासी शिक्षाविद डॉ. अरुण कुमार पाण्डेय को सम्मानित किया गया. उन्हें यह पुरस्कार शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए दिया गया. डॉ. अरुण को यह पुरस्कार स्वामी ब्रह्मानंद की 36वीं पुण्यतिथि पर उनकी जन्म स्थली हमीरपुर के राठ में स्थित ब्रह्मानंद महाविद्यालय में प्रदान किया गया. इस एकल अलंकरण कार्यक्रम में राज्य सूचना आयुक्त सुभाष सिंह ने डॉ. अरुण को ट्रॉफी, पदक, प्रमाण पत्र और सम्मान राशि देकर सम्मानित किया.
गोसेवा और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए डॉ. अरुण पांडेय सम्मानित
यूपी के बहराइच के डाॅ. अरुण कुमार पाण्डेय को स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. उन्हें यह पुरस्कार गोसेवा और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया गया है.
सम्मान प्राप्त करने के बाद जिले के पुलिस कप्तान डॉ. विपिन कुमार मिश्र, पूर्व सांसद दद्दन मिश्र, विधायक सुभाष त्रिपाठी, समाजसेवी संदीप मित्तल, निशंक त्रिपाठी और अरुण कुमार मिश्र ने डॉ. अरुण को बधाई दी. वहीं कोरिया के वरिष्ठ राजनयिक व प्रधानमंत्री सांस्कृतिक सचिव किम कुम प्योंग, दिल्ली स्थित दूतावास के मुख्य वीजा अधिकारी डॉ. एचएच किम, एनसीएआरटी के सचिव मेजर हर्ष कुमार, नेताजी सुभाष प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेपी सैनी ने भी बधाई संदेश जारी किए. कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्विद्यालय अयोध्या के पूर्व कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित रहे और स्वागत हमीरपुर जनपद की प्रथम नागरिक के रूप में जिला पंचायत अध्यक्ष जयंती राजपूत ने किया.
जनपद के विशेश्वरगंज ब्लॉक अन्तर्गत ग्राम जलालपुर में जन्मे डाॅ. अरुण ने दक्षिण कोरिया और भारत के सांस्कृतिक व अकादमिक संबंधों को नया आकार देने में अहम भूमिका निभाई है. डाॅ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या के अकादमिक सलाहकार के रूप में इस वर्ष उनके प्रयासों से विश्वविद्यालय परिसर में 'कोरियाई संस्कृति अध्ययन केन्द्र' स्थापित हुआ है, वहीं दक्षिण कोरिया द्वारा हिंदी को अधिकृत रूप से द्वितीय विदेशी भाषा के रूप स्वीकृति दिलाने पर डाॅ. पांडेय का अहम योगदान है. उन्होंने बहराइच सहित पांच जिला कारागारों में इग्नू का विशेष अध्ययन केन्द्र खोलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जहां कैदियों को पीएचडी तक की निःशुल्क शिक्षा दी जाती है. पिछले वर्ष यह पुरस्कार जर्मन नागरिक पद्मश्री फ्रेडरिक इरिना ब्रुनिंग उर्फ सुदेवी दासी को गोसेवा के लिए दिया गया था.