बहराइच लोकसभा सीट से सपा-बसपा गठबंधन, कांग्रेस और भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर है. भाजपा जहां राष्ट्रवाद और विकास के मुद्दे पर चुनावी वैतरणी पार करना चाहती है. वहीं सपा-बसपा गठबंधन बेरोजगारी, शिक्षा, खुशहाली और किसानों के विकास के मुद्दे पर चुनावी दंगल में उतर रही है, जबकि कांग्रेस सभी को बराबर का हक दिलाने, बेरोजगारों को नौकरी दिलाने, भूमिहीनों को भूमि दिलाने के लिए उतरी है.
कांग्रेस का थामा दामन
- 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा की साध्वी सावित्री बाई फुले ने जीत दर्ज कराई थी.
- इस बार भाजपा से बगावत करके कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन कराया है.
- भाजपा से विधायक फिर सांसद बनी साध्वी सावित्री बाई फुले ने भाजपा में रहकर राजनीतिक बुलंदियों को छुआ.
- कुछ वर्षों बाद भाजपा में रह कर उन्हें संविधान और लोकतंत्र खतरे में लगने लगा.
- भाजपा में रहकर भाजपा के विरुद्ध मुहिम चला कर खूब सुर्खियां बटोरी.
- भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया.
भाजपा सरकार में लोकतंत्र और संविधान दोनों सुरक्षित नहीं हैं. कांग्रेस के नेतृत्व में लोकतंत्र और संविधान सुरक्षित है. अगर संविधान सुरक्षित रहेगा तो सभी जाति धर्म संप्रदाय को बराबर का हक मिलेगा.