बहराइच:तापमान बढ़ने से सिंचाई के आभाव में चरी के जहरीली होने की प्रबल संभावना है. मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर बलवंत सिंह ने बताया कि ऐसी चरी खाने से पशुओं की मौत हो सकती है. उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति में पशुओं की जीवन रक्षा के लिए सोडियम थायो सल्फेट नामक दवा का प्रयोग करें. यह दवा प्रत्येक पशु चिकित्सालय में उपलब्ध है.
बहराइच सीवीओ की पशुपालकों को सलाह, जहरीली चरी खिलाने से पशु हो सकते हैं बीमार
उत्तर भारत में भीषण गर्मी के कारण किसानों की फसलें सूखने के आसार हैं. इस मौसम में पशुओं के लिए बोई गई चरी सिंचाई के अभाव में जहरीली होने की संभावना है. लिहाजा बहराइच के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने पशुपालकों को सुझाव दिया है कि सिंचाई के अभाव में जहरीली होने वाली चरी का प्रयोग पशु आहार में बिल्कुल न करें.
सोडियम थायो सल्फेट नामक दवा का करें प्रयोग-डॉक्टर
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने पशुपालकों को सुझाव दिया है कि सिंचाई के अभाव में जहरीली होने वाली चरी का प्रयोग पशु आहार में बिल्कुल न करें. विषाक्तता की स्थिति में तत्काल अपने निकटतम पशु चिकित्सक से संपर्क करें. विषाक्त चरी के सेवन के बाद पशु की जीवन रक्षा के लिए सोडियम थायो सल्फेट नामक दवा का प्रयोग करें. यह दवा प्रत्येक पशु चिकित्सालय पर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है.
डॉक्टर बलवंत सिंह ने कहा की पशुपालक किसी प्रकार की सलाह के लिए मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से संपर्क कर विशेषज्ञों से समुचित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने पशुपालकों से अपेक्षा की है कि वह इस स्थिति में अपने पशुओं की सुरक्षा को लेकर विशेष रूप से सतर्कता बरतें. सभी पशुपालकों को सुझाव दिया है कि मानसून आने से पहले गला घोटू बीमारी से बचाव का टीका अपने पशुओं को अवश्य लगवाएं. यह टीका पशुपालन विभाग की तरफ से निशुल्क लगाया जाता है.