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लंदन में देखी जाएंगी भारत की दुर्लभ पाण्डुलिपियां - बागपत की खबरें

लंदन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीटर फयुगल एवं प्रोफेसर इनग्रिड स्कून रविवार को बड़ौत स्थित शहजाद राय शोध संस्थान के दुर्लभ पाण्डुलिपियों संग्रह को देखने पहुंचे. जून 2023 में लंदन विश्वविद्यालय इंग्लैंड में शहजाद राय शोध संस्थान की दुर्लभ पाण्डुलिपियों को लंदन लोन पर ले जाकर प्रदर्शित किया जाना तय किया गया है.

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प्रोफेसर पीटर फयुगल

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Published : Dec 19, 2022, 7:15 AM IST

लंदन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीटर फयुगल

बागपतःलंदन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीटर फयुगल (Professor Peter Fuegl) एवं प्रोफेसर इनग्रिड स्कून रविवार को बड़ौत स्थित शहजाद राय शोध संस्थान (Shahzad Rai Research Institute) के दुर्लभ पाण्डुलिपियों का संग्रह (collection of rare manuscripts) को देखने पहुंचे. संस्थान में पहुंचने पर उनका स्वागत संस्थान के संस्थापक निदेशक डॉ. अमित राय जैन ने किया. जून 2023 में लंदन विश्वविद्यालय इंग्लैंड में तीन दिवसीय स्थानकवासी जैन परंपरा की विश्व स्तरीय दुर्लभ पाण्डुलिपियों का प्रदर्शन एवं सेमिनार आयोजित है. उसमें बड़ौत नगर के शहजाद राय शोध संस्थान की दुर्लभ पाण्डुलिपियों को लंदन लोन पर ले जाकर प्रदर्शित किया जाना तय किया गया है. उन्हीं दुर्लभ पांडुलिपियों के चयन के लिए लंदन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीटर अपनी सहयोगी प्रोफेसर इनग्रिड स्कून के साथ बड़ौत नगर के शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक डॉ. अमित राय जैन से मिलने पहुंचे.

इतिहासकार डॉक्टर अमित राय जैन ने बताया कि इंग्लैंड के लंदन विश्वविद्यालय के साथ बड़ौत नगर के शहजाद राय शोध संस्थान (Shahzad Rai Research Institute) का पिछले कई वर्षों से दुर्लभ पाण्डुलिपियों को लेकर पत्र व्यवहार चल रहा था. जिसके अंतर्गत पिछले दिनों तय हुआ कि लंदन विश्वविद्यालय में तीन दिवस का एक स्थानकवासी जैन परंपरा की दुर्लभ पाण्डुलिपियों पर आधारित सेमिनार और पाण्डुलिपियों का प्रदर्शन आयोजित किया जाए. जिसमें विश्व के जाने-माने शोधार्थी अनुसंधानकर्ता एवं पाण्डुलिपियों के विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे.

उन्होंने बताया कि शहजाद राय शोध संस्थान में करीब 12,000 दुर्लभ प्राचीन पाण्डुलिपियां मौजूद हैं, जिनके आधार पर संपूर्ण विश्व के शोधार्थी शोध अनुसंधान का कार्य कर रहे हैं. अभी पिछले दिनों पुणे के श्रुत संवर्धन संशोधन केंद्र (Shrut Samvardhan Revision Center) के पांडुलिपि विशेषज्ञों ने 6 महीने बड़ौत में रहकर यहां पर संग्रहित 3,000 पाण्डुलिपियों का डिजिटाइजेशन किया था. जिसमें करीब 5 लाख प्राचीन पाण्डुलिपियों के पन्नो को स्कैन करके पूना डिजिटल रूप में ले जाया गया था. वहां से विषय के विशेषज्ञों ने शहजाद राय शोध संस्थान की दुर्लभ पाण्डुलिपियों का व्यवस्थित सूची पत्र तैयार किया है. वह सूची पत्र भी शीघ्र ही भारत सरकार के सहयोग से प्रकाशित कर संपूर्ण विश्व में वितरित किया जाना प्रस्तावित है.

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