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यहां मिलते हैं रामायण काल के अवशेष, लव-कुश की जन्मस्थली होने का दावा

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में स्थित वाल्मिकी आश्रम में लव-कुश के जन्म और माता सीता के धरती में समाहित होने के दावे किए जाते हैं. लोगों का मानना है कि हिंडन नदी के किनारे स्थित इसी आश्रम में मां सीता ने लव और कुश को जन्म दिया था. भगवान राम सीता और अपने पुत्रों से पहली बार इसी स्थान पर मिले थे. इस स्थान को बहुत पवित्र माना जाता है.

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Published : May 2, 2019, 10:52 AM IST

धरती की गोद में समा गई थी सीता माता

बागपत :भगवान श्री राम की जन्म भूमि के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन उनके पुत्र लव और कुश की जन्मभूमि के बारे में कम लोगों को ही पता है. दरअसल इन दोनों भाइयों का जन्म महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में हुआ था. फिर उन्होंने ही दोनों बच्चों को शिक्षा भी दी थी.

धरती की गोद में समा गई थी सीता माता

पौराणिक कथाओं का यहां मिला प्रमाण-

  • पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में रामायण काल से लेकर महाभारत तक के अवशेष मिलते हैं.
  • जिले में 23 किलोमीटर अंदर महर्षि वाल्मीकि का आश्रम है, जिसे लव-कुश की जन्म स्थली भी कहा जाता है.
  • यहां पर माता सीता का एक मंदिर है, जिसमें मां सीता के साथ लव कुश की भी मूर्ति है.
  • मान्यता है कि जिस पेड़ के नीचे लव-कुश शिक्षा लिया करते थे, वह आज भी यहां मौजूद है.
  • यहां एक सीता सती स्थल भी है, जहां माना जाता है कि मां सीता यहीं पर धरती में समा गई थी.

यहीं पर लव कुश का जन्म हुआ था. लव-कुश ने इसी स्थान पर महर्षि वाल्मीकि से शिक्षा प्राप्त की थी. श्री राम के त्याग देने के बाद माता सीता इसी आश्रम में आकर रही थीं. लव-कुश की जन्म भूमि और सीता माता की सती स्थली होने के कारण इस जगह को काफी पवित्र माना जाता है.

- योगी आनंद, मंदिर के पुजारी

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