बागपत: जिले का पुरा महादेव शिव भक्तों की आस्था श्रद्धा और विश्वास का अटूट तीर्थ है. हर साल फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि पर लाखों भक्त भगवान शिव पर जलाभिषेक कर अपनी मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करते हैं. मान्यता है कि भगवान परशुराम ने शिवलिंग की स्थापना करके भगवान शिव की तपस्या की थी, जिसके बाद भगवान शिव परशुराम की तपस्या से खुश हुए थे और उनको साक्षात दर्शन दिए थे. तभी से इस मंदिर का नाम पुरा महादेव के नाम से प्रसिद्ध हो गया.
भक्त हरिद्वार ले लाकर करते हैं जलाभिषेक
जिले से करीब 25 किलोमीटर दूर पुरा गांव हिंडन नदी के किनारे बसा हुआ है. पुरा महादेव मंदिर शिव भक्तों की अटूट आस्था का केंद्र है. ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान परशुराम ने शिवलिंग स्थापना करके भगवान शिव की उपासना की थी. शिवरात्रि पर यहां पर लाखों श्रद्धालु भगवान शिव पर जल अभिषेक करने आते हैं.
मान्यता है कि कांवड़ यात्रा का आरंभ भी भगवान परशुराम ने ही किया था. वहीं भगवान श्रीराम को सर्वप्रथम कांवड़िया माना जाता है. इस मंदिर में लाखों शिव भक्त हरिद्वार से कांवड़ लाकर गंगाजल से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं.ऐसा मानना है कि जो भी भक्त महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक करता है उसकी मनोकामना पूरी होती है.
जानें क्या है पुरा महादेव का इतिहास
प्राचीन समय में एक बार राजा सहस्त्र बाहु शिकार खेलते हुए उस आश्रम में पहुंचे. ऋषि की अनुपस्थिति में रेणुका ने कामधेनु गाय की कृपा से राजा का पूर्ण आदर सत्कार किया. राजा उस अद्भुत गाय को बलपूर्वक वहां से ले जाना चाहता था, परन्तु वह ऐसा करने में सफल नहीं हो सका. अन्त में राजा गुस्से में रेणुका को ही बलपूर्वक अपने साथ हस्तिनापुर अपने महल में ले गया और कमरे में बन्द कर दिया.