बागपत:सलवार सूट पहनकर डब्ल्यूडब्ल्यूई की रिंग में उतरने वाली देश की पहली महिला रेसलर कविता दलाल की जिंदगी काफी उतार-चढ़ाव भरी रही है. बागपत के एक छोटे से गांव में जन्म लेने वाली कविता दलाल ने पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन किया है.
कविता ने बताया कैसा रहा उनका सफर-
लेडी खली के नाम से जाने जाने वाली कविता दलाल मंगलवार को विजयवाड़ा गांव अपनी ससुराल पहुंची थीं. इस दौरान उन्होंने ईटीवी से बातचीत की. उन्होंने बताया कि मैं पहले वेट लिफ्टिंग करती थी. मैं इस खेल में साउथ इंडियन गेम्स में चैम्पियन थी.
मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं डब्ल्यूडब्ल्यूई में जाऊं. सीड्ब्लूई जालंधर से मेरा करियर शुरू हुआ था. पहली बार मेरी मुलाकात जालंधर में सीडब्ल्यू में खली से हुई थी. तब उन्होंने डब्ल्यूडब्ल्यूई के बारे में बताया और डब्ल्यूडब्ल्यूई में जाने की प्रेरणा दी.
ईटीवी भारत ने कविता दलाल से की बातचीत. लड़की होने के नाते रास्ता नहीं रहा आसान
कविता ने बताया कि लड़की होने के नाते ये आसान नहीं होता है. आप अगर घर से बाहर कदम रखते हो तो कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. मुझे भी इन समस्याओं का सामना करना पड़ा. लेकिन, मेरी जीत में हमेशा मेरे परिवार का साथ रहा. मेरे सामने जो भी चैलेंज आए मैंने उनका सामना किया. मेरा लक्ष्य है कि मैं भारत के नाम डब्ल्यूडब्ल्यूई चैंपियनशिप लेकर आऊं.
परिवार ने दिया पूरा साथ
कविता का कहना है कि मेरे परिवार ने मेरा पूरा साथ दिया. मेरा चयन पहली बार जब हुआ तो भारत की तरफ से आठ लोग गए थे, जिसमें सात लड़के थे और मैं अकेली लड़की थी.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर दिखीं नाराज
कविता ने शिकायत भरे शब्दों में कहा कि राष्ट्रपति जी ने मेरी काबिलियत को देखते हुए मुझे सम्मानित किया है, लेकिन जो हमारी प्रदेश सरकार है उसकी तरफ से ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया है. ऐसा कोई सम्मान समारोह आयोजित नहीं हुआ और न ही मुझे बुलाया गया.