बागपत: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तारीखों का अभी एलान नहीं किया गया है, लेकिन पंचायत चुनाव में कुछ महीनों का वक्त बाकी है. पंचायत चुनाव को लेकर अभी से ही तैयारियां चल रही हैं. भावी उम्मीदवार अभी से ही मैदान में उतरकर वोटरों को लुभाने में जुटे हुए हैं. ऐसे में पिछले चुनावों के दौरान चुने गए प्रत्याशियों पर सवाल उठता है कि उन्होंने अपने अपने क्षेत्रों में कितना काम किया है और क्या उन क्षेत्रों की जनता अपने नेता से खुश हैं भी या नहीं. वहीं जिला पंचायत की बात करें तो जनपद में जिला पंचायत के 21 वार्ड हैं, लेकिन गांव रटौल को नगर पंचायत का दर्जा मिलने के बाद अब नए परिसीमन में 20 वार्ड ही रह जाएंगे.
यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय गुड़ और चीनी
बता दें कि जनपद बागपत को प्राचीनकाल में व्यग्रप्रस्थ नाम से जाना जाता था, यानि बाघों की भूमि. इसको बाद में बागपत नाम दिया गया था. मुगलकाल में 1857 के विद्रोह के बाद शहर को महत्व मील और तहसील बागपत को मुख्यालय के रूप में स्थापित किया गया था. यह पहले छोटे शहर के रूप में था और मंडी के रूप में जाना जाने वाला एक वाणिज्यिक केंद्र था. इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों की व्यवसायिक गतिविधि गुड़ और चीनी है. इसके अलावा कृषि उपकरणों के निर्माण के लिए कुछ इकाइयां भी हैं. जनपद बागपत यमुना नदी के किनारे हरियाणा राज्य से सटा हुआ है और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से 40 किलोमीटर, मेरठ जनपद से 50 किलोमीटर दूर है.