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घर में घुसकर मारपीट, परिवार ने लगाया गांव छोड़कर जाने का पोस्टर - बागपत में अपराध

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में घर में घुसकर मारपीट और महिलाओं से अभद्र व्यवहार करने के मामले में कार्रवाई न होने से खफा परिवार ने गांव छोड़कर जाने की बात कही है.

बागपत में मारपीट
बागपत में मारपीट

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Published : May 8, 2021, 9:52 PM IST

बागपतःजनपद में घर में घुसकर मारपीट और महिलाओं से अभद्र व्यवहार करने के मामले में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई न होने से खफा एक परिवार के सदस्यों ने अपने मकान के बाहर पोस्टर चस्पा कर दिया है कि पुलिस की निष्क्रियता के कारण, वह मकान बेचकर गांव छोड़कर जा रहे हैं.

बागपत में मारपीट

ये है पूरा मामला
छपरौली थाना क्षेत्र के कुरड़ी गांव के रहने वाले राजीव ने बताया कि चार मई को वह अपने भाई अमरीश, भतीजी, भाभी और पत्नी के साथ घर पर बैठे थे. उसी दौरान प्रधान पद के हारे प्रत्याशी के परिवार के लगभग एक दर्जन लोग घर में घुस आए और लाठी, डंडों, सरिया व धारदार हथियारों से हमला कर उन्हें घायल कर दिया. महिलाओं के साथ भी अभद्र व्यवहार किया गया. घटना के बाद आरोपी मौके से फरार हो गए. लोगों की मदद से पुलिस ने गांव के ही प्रदीप, दयानंद उर्फ कालू, नितिन, पंकज, निरंकार, कृष्ण, अशोक, लोकेश और सतवीर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया लेकिन अभी तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है. पुलिस आरोपियों के दरवाजे तक नहीं आई. आरोपी उन्हें समझौता न करने पर जान से मारने की धमकी रहे हैं. परेशान और दहशत के कारण वह अब गांव छोड़कर जाना चाहते हैं. उन्होंने घर के दरवाजे पर पोस्टर चस्पा कर दिया कि पुलिस की निष्क्रियता के कारण वह मकान बेचकर गांव छोड़कर जा रहे हैं.

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छपरौली थाना क्षेत्र में गांव कुरड़ी है. एक व्यक्ति ने थाने में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उसने बताया कि कोई प्रधान प्रत्याशी था. उन्होंने, उसे वोट नहीं दिया तो उनके व उनके परिवार के साथ मारपीट की गई है. इस संबंध में सुसंगत धाराओं में मुकदमा लिख दिया गया है. एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है.
सीओ आलोक सिंह


चार तारीख को हमारे साथ कुछ आदमियों ने घर पर घुसकर मारपीट की. उन्होंने कहा कि तुमने वोट नहीं दिया अब बताएंगे. हमारी भतीजी के साथ में बदतमीजी की. जातिसूचक शब्द भी कहे. मोहल्ले के लोग आए तो आरोपी भागे. अब गांव छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं. गांव वाले और पुलिस साथ नहीं देगी हम सेफ नहीं रह पाएंगे. फिर गांव में रहकर क्या करेंगे.
राजीव कुमार, पीड़ित

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