बागपत: जनपद में सड़क दुर्घटनाओं में बीते 11 माह में 107 लोगों की जान जा चुकी है. इनमें किसी के घर का चिराग बुझा तो किसी के सिर से पिता का साया उठ गया. दिल दहला देने वाली इन घटनाओं ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया. फिर भी कुछ लोग जान बूझकर आमजन की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं. वहीं सड़क हादसों को रोकने में सरकारी तंत्र नाकाम नजर आ रहा है.
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे (ईपीई) पर हुए 30 प्रतिशत हादसे सामने आए हैं. वहीं, एआरटीओ सुभाष राजपूत की मानें तो जनपद में 30 प्रतिशत हादसे ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे (ईपीई) पर हुए हैं. दूसरे नंबर पर 10-15 प्रतिशत हादसे दिल्ली-यमुनोत्री हाई-वे (709-B) पर हुए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा हादसे कार से हुए हैं. सड़कों पर सबसे ज्यादा 30 प्रतिशत हादसे कार के हुए, जबकि दोपहिया वाहनों के 15 प्रतिशत हादसे हुए हैं. ट्रक और बसों से 8-10 प्रतिशत हादसे हुए हैं.
वाहनों की तेज रफ्तार है हादसों की मुख्य वजह
सड़कों पर वाहनों की तेज रफ्तार हादसों की मुख्य वजह है. रोड का डिजाइन ठीक न होना, जर्जर और अन्य अनियमितता भी हादसों की वजह है. दूसरी तरफ सर्दी के मौसम में कोहरे के चलते ज्यादा हादसे होने की संभावना बढ़ जाती है. सड़कों पर कोहरे में बहुत ज्यादा हादसे होते हैं. इस साल 9 नवंबर की रात पहली बार कोहरा पड़ा, तो खेकड़ा थाना क्षेत्र अंतर्गत ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे (ईपीई) पर हिमाचल प्रदेश से बरेली जा रही बस डिवाइडर से टकराकर पलट गई थी. इसमें 28 यात्री घायल हुए थे.
पहले भी हो चुके कई बड़े हादसे
पूर्व में भी कोहरे में खूब हादसे सामने आए हैं. ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर एक साथ कई वाहन टकराए हैं. दिल्ली-यमनोत्री हाई-वे (709 B) पर डिवाइडर से कार टकरा जाने के चलते चार लोगों की मौत का मामला सामने आ चुका है. इतना ही नहीं दिवाली के त्योहार पर 14 नवंबर को हाई-वे पर सिसाना गांव के पास ट्रैक्टर-ट्रॉली से टकराने से बाइक में आग लग गई थी. आग लगने से युवक की जिन्दा जलने के कारण मौत हो गई थी. इतना सब होने के बाद भी दोपहिया और चार पहिया वाहन चालक लापरवाही से वाहन चलाते हुए आसानी से नजर आ जाते है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर लापरवाही से वाहन चलाने वालों के विरुद्ध कब और क्या कार्रवाई होगी.