बदायूं: पूर्व विधायक रामसेवक सिंह पटेल की कोठी और होटल पर प्रशासन का चाबुक चला है. जिले के सिविल लाइन इलाके के जवाहर पुरी में रामसेवक सिंह पटेल की कोठी और होटल बना हुआ है. इसको गिराने के लिए भारी पुलिस बल के साथ प्रशासन मौके पर 6 जेसीबी लगा कर उसे तोड़ रहा है. प्रशासन का कहना है कि कब्रिस्तान की जगह पर अवैध रूप से कोठी और होटल का निर्माण हुआ है. नोटिस दिए जाने के बाद भी जब पूर्व विधायक ने खुद अवैध निर्माण नहीं हटाया, तो मजबूरन प्रशासन को इसे गिराना पड़ा.
पूर्व विधायक रामसेवक सिंह पटेल से बातचीत 1 किमी का एरिया सील करके गिराई जा रही बिल्डिंग
अपने समय में प्रदेश के दबंग विधायकों में गिने जाने वाले पूर्व विधायक रामसेवक सिंह पटेल की शहर के पॉश इलाके में एक बहुत बड़ी बिल्डिंग है. इस बिल्डिंग को उन्होंने विधायक रहते हुए निर्माण कराया था. यह निर्माण शुरू से ही विवादों के घेरे में था, लेकिन पूर्व विधायक के रसूख चलते प्रशासन ने उस समय कोई ध्यान नहीं दिया. उस दौरान विधायक की ऐसी छवि थी कि वह लगातार विनाबर क्षेत्र से 4 बार भाजपा से विधायक बने और 1 बार बसपा से इस तरह 5 बार के विधायक रहे रामसेवक सिंह पटेल ने अपनी विधायकी के दिनों में कब्रिस्तान के जगह को भी नहीं छोड़ा और वहां भी एक भव्य बिल्डिंग का निर्माण कराया.
पूर्व विधायक रामसेवक सिंह पटेल की कोठी प्रशासन ने तोड़ी. इस बिल्डिंग में उन्होंने एक आलीशान होटल और अपना आवास भी बनाया. पिछले दिनों बदायूं जिला प्रशासन ने शहर के कई जाने माने लोगों के अवैध निर्माण को अभियान चला कर गिरवा दिया था, तभी यह भी गिराई जानी थी. हालांकि, कोरोना की वजह से इसमें देर हो गयी. अब प्रशासन ने मंगलवार को अपनी पूरी ताकत के साथ बड़ी संख्या में पुलिस बल को लेकर 1 किलोमीटर का एरिया सील कर और जेसीबी मशीनें लगा कर इस निर्माण को गिराने का काम शुरू कर दिया. पूरे इलाके को पुलिस ने छावनी में तब्दील कर दिया, ताकि कोई विरोध न हो सके. प्रशासन के तमाम आला अधिकारी मौके पर मौजूद हैं.
विधायक ने अपनी पार्टी के विरोधियों पर लगाया आरोप
ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में पूर्व विधायक रामसेवक सिंह पटेल ने बताया कि वह वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं. उन्होंने अपनी ही पार्टी में शामिल कुछ विरोधियों पर घुमा फिरा कर इस पूरी कार्रवाई का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि पार्टी के ही कुछ लोग उनकी छवि को बिगाड़ना चाहते हैं, जिन्होंने प्रशासन के साथ मिलकर यह कार्रवाई की है. उन्होंने बताया कि उनको इसके लिए कोई नोटिस भी प्रशासन ने नहीं दिया.