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बदायूं में तालाब पाटकर बनी कॉलोनियों को हटाने का काम जल्द होगा शुरू: बदायूं - badaun news

बदायूं जिला प्रशासन शहर में जलभराव की समस्या को खत्म करने के लिए नई पहल करने जा रहा है. नालों के ऊपर बने अतिक्रमण को हटाने के बाद अब नगर निगम तालाबों पर बने अतिक्रमण को हटाने की कवायद शुरु करेगा. इसके लिए शहर के तीन स्थानों को चिन्हित भी किया जा चुका है.

जानकारी देते कुमार प्रशांत, जिलाधिकारी
जानकारी देते कुमार प्रशांत, जिलाधिकारी

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Published : Oct 17, 2020, 5:21 PM IST

बदायूं: शहर में जगह-जगह आए दिन जलभराव की समस्या बनी रहती है. बरसात के दिनों में शहर के अधिकांश मोहल्ले जलमग्न हो जाते हैं. शहर में इस प्रकार की समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने नालों के ऊपर से अवैध अतिक्रमण हटाने का अभियान चला रखा है. जिला प्रशासन अब तालाबों को पाटकर बनाई गई कॉलोनियों से अतिक्रमण हटाकर पुनः उन्हें तालाबों का स्वरूप प्रदान करेगा. जिलाधिकारी ने कहा कि 1950 के नक्शे के आधार पर यह चिन्हांकन किया जा रहा है.

जिला प्रशासन का कहना है कि 1950 में जिन जगहों पर तालाब अंकित थे ,उन स्थानों को पुनः तालाबों का स्वरूप दिया जाएगा. भूमाफियाओं ने वहां तालाबों को खत्म कर अब कॉलोनी इत्यादि बना ली हैं उसे वहां से हटाया जाएगा. इसके लिए जिलाधिकारी ने नगर पालिका एवं नगर पंचायतों के ईओ को आदेश जारी कर दिए हैं और स्थानों का चिन्हांकन किया जा रहा है. शहर में ऐसे तीन स्थान चिन्हित किए गए हैं, जहां पर पूर्व में काफी बड़े-बड़े तालाब थे, जिन्हें पाटकर लोगों ने अवैध कॉलोनियां बना ली हैं. उनके खिलाफ जल्द ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई प्रशासन द्वारा की जाएगी. खासतौर से शहर में तालाबों पर अतिक्रमण हो जाने की वजह से जलभराव की विकट समस्या देखने को मिलती है.

जिलाधिकारी कुमार प्रशांत का कहना है कि जिले के सभी ईओ को निर्देशित किया गया है कि अवैध रूप से तालाबों को पाटकर किए गए निर्माण का चिन्हांकन करें, जो जमीन कागजों में तालाब के रूप मे अंकित है, उन्हें पाटकर वहां पर अवैध निर्माण किया गया है. उसे हटाकर उस जगह को पुनः तालाब का स्वरूप प्रदान किया जाएगा.

शहर में ऐसे तीन स्थानों का चयन कर लिया गया है, जहां पर पूर्व में तालाब था. उन्हें वापस उसी स्वरूप में स्थापित किया जाएगा. इसके अतिरिक्त ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जहां-जहां तालाबों पर अतिक्रमण किया गया है उनकी जांच करवाई जा रही है. 1950 के कागजों में अगर वह स्थान तालाब के रूप में दर्ज है, तो वहां से अवैध अतिक्रमण को हटाया जाएगा. मनरेगा के तहत तालाबों को पुनः उनका पुराना स्वरूप प्रदान किया जाएगा.

- कुमार प्रशांत, जिलाधिकारी

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