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बदायूं: 8 साल पुराने केस में अनोखी सजा, बुजुर्ग की हत्या के आरोपियों को 15 दिन करना होगा सिर्फ ये काम

बदायूं जिले में 8 साल पुराने हत्या के एक मामले में अनोखी सजा सुनाई गई है. 8 साल पहले गोलीबारी में एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी जिसमें किशोर न्याय बोर्ड ने अब फैसला सुनाया है. केस में नामजद एक किशोर और दो किशोरियों को कोर्ट ने सजा सुनाते हुए 15 दिन बुजुर्गों की सेवा करने के आदेश दिए हैं.

बदायूं
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Published : Jul 2, 2022, 2:22 PM IST

बदायूं: जिले में 8 साल पुराने केस में अनोखी सजा सुनाई गई है. गौरतलब है कि 8 साल बाद हत्या आरोपियों को सजा सुनाई गई और फिर इन आरोपियों को केवल 15 दिन के लिए बुजुर्गों की सेवा करनी की सजा दी गई है. साथ ही इन्हें 10-10 हजार रुपये जुर्माना भरने के निर्देश दिए गए हैं. दरअसल, 8 साल पहले गोलीबारी में एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी जिसमें किशोर न्याय बोर्ड ने अब फैसला सुनाया है. केस में नामजद एक किशोर और दो किशोरियों को कोर्ट ने सजा सुनाते हुए 15 दिन बुजुर्गों की सेवा करने के आदेश दिए. किशोर न्याय बोर्ड ने किशोर और किशोरियों को दोषी पाया और लड़के को 15 दिन और दोनों लड़कियों को 7 दिन वृद्धा आश्रम में सेवा दान करने के लिए कहा गया है.

बुजुर्गों की सेवा के साथ ही सभी आरोपियों को 10 -10 हजार रुपये का आर्थिक दंड भरना होगा. बताया जा रहा है कि आरोपी रिश्ते में भाई-बहन हैं. मामला बदायूं के दातागंज क्षेत्र का है. यहां 25 जुलाई 2014 को एक बुजुर्ग के ऊपर फायरिंग हुई थी. मामले की एफआईआर में लिखा गया था कि निवासी प्रेमपाल अपने घर के बाहर थे और वहीं उनके बेटे वीरेंद्र से तीनों आरोपियों का किसी बात पर झगड़ा हो गया था. आरोपियों ने झगड़े में उन लोगों पर, उनके दामाद वीरेंद्र, बेटी कुमकुम और समधी विजेंद्र पर ईंट-पत्थर चलाए और फिर जान से मारने की नियत से फायरिंग की. इसी फायरिंग में गोली लगने से प्रेमपाल के समधी विजेंद्र घायल हो गए. उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया और हत्या की कोशिश के आरोप के साथ शिकायत दर्ज करवाई गई.

इलाज के दौरान विजेंद्र की मौत होने के बाद केस हत्या में बदल गया. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट लगाते हुए नाबालिगों को किशोर न्यायालय बोर्ड भेजा था. किशोर बोर्ड की न्यायाधीश आंचल अधाना, सदस्य प्रमिला गुप्ता और अरविंद कुमार ने इस मामले की सुनवाई करते हुए इन्हें सुधार गृह में बिताई गई अवधि के बराबर ही सजा सुनाई. अब आरोपियों को सुधार गृह में नहीं रुकना होगा और वृद्धा आश्रम में सेवा दान देना होगा.

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