आजमगढ़:उत्तर प्रदेश सरकार ने महिलाओं को अपराध, हिंसा और उत्पीड़न से मुक्ति दिलाने के लिए 181 महिला हेल्पलाइन का गठन किया था. इसका मुख्य उद्देश्य था कि समाज में जो भी महिलाएं उत्पीड़न और हिंसा की शिकार होती हैं, उन्हें न्याय दिलाया जाए, जिससे उन्हें समाज की मुख्यधारा में जोड़ा जा सके. इसके तहत आजमगढ़ जनपद में 6 लोगों को नियुक्त किया गया था.
24 जून 2017 को हुआ महिला हेल्पलाइन का गठन
प्रदेश में महिला हेल्पलाइन 181 के गठन के बाद 24 जून 2017 को आजमगढ़ जनपद में भी इसका गठन किया गया. इसके माध्यम से जनपद की हिंसा और उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को महिला हेल्पलाइन में कार्यरत महिलाएं न्याय दिलाती रहीं, पर आज जबकि प्रदेश सरकार ने 181 बंद करने का निर्णय लिया है तो यहां पर काम करने वाली महिलाओं को गहरा धक्का लगा है.
'हमें फिर से रखा जाए'
181 महिला हेल्पलाइन में काम करने वाली संध्या सिंह का कहना है, 'जिस तरह से सरकार ने 181 बंद करने का निर्णय लिया है, उससे हम लोग काफी दु:खी हैं. बच्चों के एडमिशन हो चुके हैं लेकिन बच्चे घर बैठ गए हैं. किराए के घर में रहते थे. मकान मालिक भी घर खाली करने को बोल रहे हैं. 1 वर्ष से वेतन नहीं मिला है. हम लोग वेतन की आस में थे पर सरकार ने जिस तरह से हम लोगों को निकालने का फैसला लिया, इससे हम लोग न घर के रहे, न घाट के रहे. हम लोगों को आर्थिक रूप से काफी परेशान होना पड़ रहा है. सरकार से हमारी मांग है कि हमें रखा जाए.'