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Published : Sep 26, 2019, 3:04 PM IST

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'भारत रक्षा दल' जो लावारिस लाशों को पहुंचाता है बैकुंठ धाम

'लावारिसों को दरकिनार करने वाले हजारों मिले, लेकिन उन्हें मोक्ष दिलवा दे, ऐसा मसीहा न मिला.' 21वीं सदी की भाग दौड़भरी जिंदगी में इन बातों को झूठा साबित किया आजमगढ़ के भारत रक्षा दल ने. यह दल लावारिसों का मसीहा बना हुआ है. इस दल के सदस्य शहर में मिलने वाली लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार उसके रीति रिवाजों से करते हुए उसे बैकुंठ धाम पहुंचाने का कार्य करते हैं.

भारत रक्षा दल करता है लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार.

आजमगढ़:21वीं सदी की भाग दौड़भरी जिंदगी में भारत रक्षा दल लावारिसों का मसीहा बना हुआ है. इस दल के लोग इन लाशों को मुखाग्नि देने के साथ उनका पिंड दान और श्राद्ध भी करते हैं. इस दल के लोगों ने अब तक 375 लाशों का अंतिम संस्कार किया है.

देखें आजमगढ़ से यह स्पेशल रिपोर्ट...

इस दल के सदस्य शहर में मिलने वाली लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार उसके रीति रिवाजों से करते हुए उसे बैकुंठ धाम पहुंचाने का कार्य करते है. इतना ही नहीं, यह लोग इन मृतकों के पिंड दान करने के साथ प्रत्येक वर्ष पितृ पक्ष माह में श्राद्ध भी करते हैं. वहीं श्राद्ध के बाद लोगों को भोजन भी करवाते है. इस कार्य मे तमाम लोग इनकी मदद को आगे आते हैं. वहीं यह लोग समाज में नजीर भी प्रस्तुत कर रहे हैं.

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भारत रक्षा दल के सदस्य हरिकेश विक्रम सिंह ने बताया कि लावारिस लाशों का पोस्टमार्टम होने के बाद पुलिस इनको तमसा नदी में फेंक देती थी. यह देख उन लोगों को लगा कि इनका भी कोई न कोई तो अपना होगा, जिसको ध्यान में रख उन्होंने ऐसी लाशों का अंतिम संस्कार करना शुरू कर दिया.

हरिकेश ने बताया कि अब तक 375 लावारिस लाशों का उन लोगों ने अंतिम संस्कार उनके धर्म के रीति रिवाज के अनुसार किया है, जिसमें हिन्दू- मुस्लिम सहित कई धर्म के लोग शामिल हैं.

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सबसे बड़ी बात यह है कि जब लोगों के पास अपनों के लिए ही समय नहीं है. ऐसे में यह लोग समाज को आईना दिखाने का कार्य कर रहे है. यह लोग हर साल मृतकों की आत्मा की शांति के लिए पिंड दान के साथ श्राद्ध भोज का भी आयोजन करते है, जिसमें भारी संख्या में लोग अपनी भागीदारी देते है.

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