आजमगढ़: अयोध्या में श्रीराम के भव्य मंदिर का जहां निर्माण शुरू हो गया है, तो वहीं आजमगढ़ के निजामाबाद में स्थापित दत्तात्रेय ऋषि के आश्रम में अष्ठधातु की राम जानकी और लक्ष्मण की मूर्ति 20 साल से सुरक्षा के अभाव में सरकारी मालखाने में वनवास काट रही है. यह प्रतिमाएं अपने मंदिर लौटने का आज भी इंतजार कर रही है.
त्रेता युग में जिस प्रभु श्रीराम पर ऋषि-मुनियों और प्रजा की रक्षा का दायित्व था, वह कलयुग में खुद ही सुरक्षा के आभाव में सरकारी मालखाने में वनवास काट रहे हैं. सति अनसुईया के पुत्र दत्तात्रेय ऋषि ने शहर से 20 किलोमीटर दूर निजामाबाद में अपना आश्रम स्थापित किया था. वहीं पर उन्होंने तपस्या की और उनके बाद तमाम ऋषि-मुनियों ने भी यहीं पर साधना और तपस्या की, जिससे यह धाम अलौकिक हो गया.
सरकारी मालखाने में वनवास काट रही मूर्ति
मंदिर के पुजारी राजू दास की मानें तो 1998 में यहां स्थापित श्रीराम, जानकी और लक्ष्मण की स्थापित अष्टधातु की मूर्ति को चोरों ने चुरा लिया. इसके बाद काफी प्रयास से पुलिस ने मूर्ति को बरामद किया था, जिसकी कीमत अंतराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों रुपये थी. मूर्ति बरामद होने के बाद इसे सरकारी मालखाने में जमा करवा दिया गया था. वहीं अब इस घटना के 20 साल से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी मूर्ति को अभी तक मंदिर में स्थापित नहीं किया जा सका है.